Maharashtra Political Crisis : विधायकों के बगावत (rebel MLAs) और हाथ से छूटती सत्ता के बीच जब सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बागी नेताओं को संदेश दिया, तब उनमें पिता बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) की 30 साल पहले (30 years ago) वाली छवि (glimpse ) भी कई लोगों को दिखाई दी. उद्धव ने अपने पिता के अंदाज में ही बागी नेताओं को साफ संदेश दिया. 30 साल पहले 1992 में उनके पिता बालासाहेब ठाकरे ने भी संगठन की कार्यशैली पर सवाल उठने पर कहा था कि उनका पूरा परिवार शिवसेना छोड़ रहा है...तो ऐसा बवाल मचा कि बड़ी संख्या में शिवसैनिक सड़कों पर आ गए. प्रदर्शन होने लगे. कईयों ने खुद को जान से मारने तक की धमकी दे डाली.
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पार्टी की नींव रखनेवाले की पार्टी छोड़ने की घोषणा से पूरा संगठन हिल गया. फिर सभी शिकायतों को किनारे रख बालासाहेब को मनाने की कवायद शुरू हो गई. उस एक घटना के बाद जब तक बाला साहेब रहे, उनके खिलाफ पार्टी में ना बगावत हुई और ना उनके खिलाफ किसी ने एक आवाज उठाई.
अब मुख्यमंत्री उद्धव ने भी ऐसे ही तेवर दिखाए हैं, उन्होंने फेसबुक लाइव के जरिए साफ कहा है कि अगर कोई विधायक सामने से आकर कहेगा तो वे तुरंत इस्तीफा दे देंगे. उद्धव ने कहा कि जो नाराज विधायक हैं, वे मेरे पास आएं और बात करें. मैं मुख्यमंत्री पद क्या शिवसेना अध्यक्ष का पद भी छोड़ने के लिए तैयार हूं. उद्धव के इस संदेश के बाद भी बड़ी संख्या में शिवसैनिक उनके समर्थन में उतर गए. उद्धव के स्वागत में मातोश्री के बाहर खड़े सैकड़ों शिवसैनिकों ने उनके समर्थन में नारे लगाए. जिसके बाद से ही उद्धव के तेवर में बालासाहेब ठाकरे की झलक और 30 साल पहले की घटना की चर्चा तेज हो गई है.
बता दें कि 30 साल पहले 1992 में शिवसेना के ही एक पुराने साथी माधव देशपांडे ने बाला साहेब ठाकरे और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठा दिए थे. उनके भतीजे राज ठाकरे और बेटे उद्धव ठाकरे पर पार्टी के मामलों में काफी दखलअंदाजी का आरोप लगा. जो बालासाहेब ठाकरे को बिल्कुल गवारा नहीं हुआ. उन्होंने सामना में एक लेख लिख पार्टी छोड़ने का ऐलान कर डाला. उन्होंने लिखा कि अगर एक भी शिव सैनिक मेरे या फिर मेरे परिवार के खिलाफ खड़ा होता है और ये कहता है कि हमने आपकी वजह से पार्टी छोड़ दी तो मैं इसी पल से शिवसेना अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहता हूं. मेरा पूरा परिवार ही शिवसेना छोड़ रहा है.
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