लगभग 27 महीने जेल में रहने के बाद सपा के दिग्गज मुस्लिम नेता आजम खान (Azam Khan) बाहर आ गये हैं. जेल से बाहर आने के बाद पार्टी के नेताओं ने आजम खान से दूरी बनाई हुई है. हालांकि जेल से रिहाई के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) समेत कई नेताओं ने ट्वीट कर खुशी जाहिर तो की लेकिन मिलने कोई नहीं पहुंचा. अब खबर है कि यूपी विधानसभा का सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सपा के मुख्यालय में बुलाई गई विधायक दल की बैठक में पार्टी के विधायक आजम खान और शिवपाल सिंह यादव शामिल न होने पर एक बार फिर राजनीतिक गलियारों तरह-तरह की चर्चाएं होना शुरू हो गई हैं.
'मैं किसी से नाराज नहीं हूं'
जिसके बाद आजम खान ने अखिलेश यादव से नाराजगी को को लेकर कहा कि मैं किसी से नाराज नहीं हूं. मुझे तो नाराजगी की जानकारी मीडिया ही मिल रही है. मेरी किसी से नाराजगी की हैसियत नहीं है. नाराज होने के लिए कोई आधार चाहिए. मैं तो खुद ही निराधार हूं तो आधार कहां से आएगा. उन्होंने आगे कहा कि मैं एक गरीब आदमी हूं जो एक ऐसी तंग गली में रहता है, जहां एक भी चार पहिया गाड़ी दाखिल नहीं हो सकती.
गुड्डू मसूद से मुलाकात करने रामपुर जिला कारागार गए थे
करीब ढाई साल बाद जेल में रिहा हुए आजम खान रविवार को अपने करीबी साथी गुड्डू मसूद से मुलाकात करने रामपुर जिला कारागार गए थे. वहां से लौटने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में आजम खान ने आरोप लगाया कि उन्हें शिक्षा का आंदोलन शुरू करने की सजा दी गई है. उन्होंने कहा कि मुझे सजा दी गई. क्योंकि मैंने बच्चों के हाथ में कलम देना चाहा था. तालीम का मिशन शुरू किया था और मैंने जो यूनिवर्सिटी कायम की, अगर उसे ढहाया गया तो उसके खंडहर और मलबा मेरे मिशन का इतिहास बयान करेंगे. मैं उच्चतम न्यायालय का शुक्रगुजार हूं कि मुझे जमानत दी.
विधानसभा सत्र में शामिल होने और विधायकी की शपथ लेने को लेकर सपा नेता आजम खान ने कहा कि शपथ तो लूंगा, कोशिश कर रहा हूं कि मेरी तबीयत ऐसी रहे कि सफर कर सकूं.तबीयत अच्छी नहीं है, कोशिश करूंगा. बता दें कि इससे पहले सपा मुख्यालय में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने विधायक दल की बैठक बुलाई. अखिलेश ने विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों से जनहित के मुद्दों को उठाने की नसीहत दी. गौरतलब है कि आजम खान जेल से बाहर आने के बाद कहा था कि मेरी तबाहियों में मेरे अपनों का हाथ है.