Revolt in Akhilesh's Family : अखिलेश पर अपनों का सितम, क्या होगा चाचा शिवपाल का अगला कदम?

Updated : Mar 27, 2022 10:59
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Editorji News Desk

यूपी की राजनीति में समाजवादी पार्टी (एसपी) की अहमियत (Samajwadi Party Importance in UP Politics) से कोई इनकार नहीं कर सकता है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी पार्टी को मजबूती से आगे बढ़ाया है लेकिन यादव परिवार के घर में विरोध का किस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) के बाद परिवार के शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) के बगावती तेवर दिखाई दे रहे हैं. वह एसपी विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज हो गए हैं.

चाचा शिवपाल की नाराजगी ने एक बार फिर अखिलेश के उन अपनों का किस्सा सामने ला दिया है, जिन्होंने मुलायम की पार्टी एसपी से किनारा कर दूसरे दलों पर सवारी का रास्ता चुना है. आइए एक नजर डालते परिवार के ऐसे ही नेताओं पर....

अपर्णा यादव : अपर्णा यादव की शादी मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव (Aparna Yadav Married to Mulayam Son Prateek Yadav) से हुई है. 2017 (UP Elections 2017) में वह लखनऊ कैंट से एसपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी थीं लेकिन हार गई थीं. यूपी चुनाव 2022 से ऐन पहले उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली. परिवार की पार्टी को छोड़कर बीजेपी में जाने के उनके फैसले ने कईयों को हैरान कर दिया. अब वह कदम कदम पर एसपी और अखिलेश को निशाने पर लेती हैं और अपनी नई नवेली पार्टी बीजेपी की तरफदारी करती दिखाई देती हैं. जनता को हैरानी तब हुई जब योगी सरकार 2.0 के शपथग्रहण में मंत्रियों की लिस्ट में अपर्णा का नाम शामिल नहीं था.

हरिओम यादव : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता और मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के समधी हरिओम यादव (Hariom Yadav) भी 2022 चुनाव से ठीक पहले बीजेपी (BJP) में शामिल होने वालों में शामिल हैं. हरिओम यादव, तेज प्रताप यादव के सगे नाना के छोटे भाई हैं, इस नाते से वह मुलायम सिंह यादव के समधी हुए. यूपी चुनाव में सिरसागंज से लड़े यादव को हार का मुंह देखना पड़ा. सिरसागंज विधानसभा सीट पर उनके राजनीतिक शिष्य और समाजवादी प्रत्याशी सर्वेश सिंह ने उन्हें 8,805 वोटों के अंतर से शिकस्त दी.

हालांकि शिवपाल सिंह यादव मामले में स्थिति थोड़ी उलट है. वह एक अलग पार्टी बना चुके हैं. उन्होंने यूपी चुनाव में अपनी पार्टी के लोगों को टिकट दिलाने की भरपूर कोशिश की लेकिन अखिलेश के साथ गठबंधन में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) ने 100 सीटों पर दावा किया था लेकिन मिली सिर्फ 1, वह भी एसपी के ही झंडे पर... अब विवाद के बीच एसपी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने कहा है कि यह बैठक पार्टी की थी. इसमें हमारे सहयोगी दल प्रसपा, आरएलडी, जनवादी पार्टी, महान दल, सुभासपा किसी को नहीं बुलाया गया. सहयोगी दलों के साथ 28 को बैठक है. उसी में शिवपाल यादव समेत सभी सहयोगियों को बुलाया जाएगा.

शिवपाल का अगला कदम क्या होगा, इसका राजनीतिक गलियारों में हर किसी को इंतजार है.

अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच फिर पड़ गई फूट! चाचा-भतीजे की इस लड़ाई का क्या होगा अंजाम?
 

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