कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से नेशनल हेराल्ड केस (National Herald case) में ईडी से पूछताछ के मामले में सियासत गरमा गई है. ED दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.
इस दौरान मुख्यमंत्री के सुरक्षा अधिकारियों के साथ दिल्ली पुलिस की तीखी नोकझोंक भी हुई. इन सबके बीच के आपके मन में एक सवाल आ रहा होगा कि क्या आखिर एक मुख्यमंत्री को पुलिस हिरासत में ले सकती है ? और अगर लेती है तो, इसके नियम क्या होते हैं. आपकी दिलचस्पी ये भी जानने में होगी कि एब तक कितने मुख्यमंत्रियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.
क्या होती है हिरासत?
आमतौर पर 'कस्टडी' (हिरासत) का मतलब किसी व्यक्ति पर नियंत्रण या निगाह रखना है. इसका तात्पर्य किसी व्यक्ति के अपनी इच्छा के मुताबिक कहीं आने-जाने पर प्रतिबंध से है. हिरासत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत आजादी के अधिकार पर सीधा हमला है, इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कानून में एक विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित की गई है कि किसी व्यक्ति को केवल कानूनी उद्देश्यों के लिए ही अधिकारी द्वारा उचित, तार्किक और समानुपातिक तरीके से हिरासत में लिया जाये.
क्या कहते है CM की हिरासत के नियम?
अगर बात मुख्यमंत्री को हिरासत में लेने की बात की जाए तो, उसके लिए वहीं नियम लागू होता है जो किसी विधायक के लिए होता है. इस नियम के मुताबिक आपराधिक मामलों में किसी भी विधायक को गिरफ्तारी या हिरासत से छूट नहीं मिली हुई है. वहीं सिविल मामलों में गिरफ्तारी या हिरासत से छूट मिल सकती है.
इस नियम के मुताबिक किसी मुख्यमंत्री पर सिविल मामलों में कोई आरोप हो तो विधानसभा सत्र से 40 दिन पहले, विधानसभा सत्र के दौरान और सत्र खत्म होने के 40 दिन बाद तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. गौरतलब है कि रूल बुक में ऐसा कुछ नहीं है कि आपराधिक मामलों में उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है.
'नियम यह है कि संबंधित सदन के प्रोसेडिंग ऑफिसर (विधानसभा अध्यक्ष या विधानपरिषद के सभापति) को मुख्यमंत्री या विधायक को गिरफ्तारी की सूचना जरूर देनी होगी. जब विधानसभा सत्र नहीं चल रहा हो तो विधानसभा बुलेटिन में यह जानकारी प्रकाशित की जाती है और अगर विधानसभा चल रहा हो तो संबंधित सदन को जानकारी दी जाती है.'
संविधान कहता है कि सिविल के साथ-साथ क्रिमिनल मामलों में भी गिरफ्तारी से छूट सिर्फ देश के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल को प्राप्त है. राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए आपराधिक मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
आपराधिक मामलों में भी उनकी गिरफ्तारी तभी संभव हो सकती है जब वो पद त्याग दें या उनका कार्यकाल खत्म हो जाए. यानी, राष्ट्रपति या राज्यपाल का पद उनके पास नहीं बचेगा, तभी उनकी गिरफ्तारी हो सकेगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्रीयों में तमिलानाडू की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता, बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं.
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