महाराष्ट्र (Maharashtra) में उद्धव ठाकरे के इस्तीफे को देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के शिवसेना (Shiv sena) के बदले के तौर पर देखा जा रहा है. देवेंद्र फडणवीस का एक पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा था, मैं समुंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा. देवेंद्र फडणवीस इससे पहले भी कई मौकों पर विपक्ष को धूल चटाकर राजनीतिक चमत्कार कर चुके हैं, यही वजह है कि देवेंद्र फडणवीस को राज्य की सियासत में उलटफेर का बड़ा नाम माना जाता है.
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शरद पवार के गढ़ में सेंध लगाना हो या रातों-रात अजीत पवार को अपने खेमें में शामिल करना, इन दोनों ही मामलों में भी फडणवीस की सियासी बुद्धि ने ही करिश्मा किया. आइए एक नजर डालते हैं कि देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक करियर और किन मौकों पर वो अपनी राजनीति कुशलता का परिचय देने में सफल हुए-
महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने अपने माइक्रो मैनेजमेंट के बूते राज्यसभा चुनाव में पार्टी को उम्मीद से बढ़कर जीत दिलाई. यहां तक कि राज्य के सबसे बड़े राजनीतिज्ञ कहे जाने वाले शरद पवार भी फडणवीस की राजनीतिक चतुराई की दाद देते दिखे.
2014 के महाराष्ट्र विधान चुनाव से पहले शिवसेना-बीजेपी गठबंधन अलग हो गया था लेकिन फिर भी बीजेपी 122 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल हुई. अहम ये है कि 2009 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को महज 46 विधानसभा सीटें मिली थीं लेकिन सीटों के ग्राफ को ऊपर पहुंचाने में फडणवीस के नेतृत्व ने बहुत बड़ा योगदान निभाया. फडणवीस ने एक बार फिर कुशल नेतृत्व दिखाया और 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने महाराष्ट्र की 48 में से 42 सीटों पर जीत का परचम लहराया.
राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र फडणवीस महज 22 वर्ष की उम्र में नागपुर नगर निगम के पार्षद बने और 27 वर्ष की आयु में सबसे युवा मेयर चुने गए. 2001 में उन पर आलाकमान ने भरोसा जताया और वो बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए. RSS से फडणवीस का जुड़ाव भी उनकी राजनीति को धार देने में उपयोगी साबित हुआ. देवेंद्र फडणवीस, पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के भी बेहद भरोसेमंद हैं.