Real Shiv Sena Row: चुनाव आयोग न ले शिंदे गुट पर कोई फैसला, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

Updated : Aug 06, 2022 12:41
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Editorji News Desk

महाराष्ट्र की राजनीतिक उठापटक (Maharashtra Political Crisis) और विधायकों की अयोग्यता मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को अभी एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट की उस याचिका पर कोई फैसला नहीं लेने का निर्देश दिया, जिसमें कहा गया है कि उसे ही असली शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनावी चिह्न भी उन्हें दिया जाए.

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चीफ जस्टिस एन वी रमणा (Chief Justice N V Ramana), न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी (Justice Krishna Murari) और न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की बेंच ने कहा कि वह महाराष्ट्र के हाल के राजनीतिक संकट से संबंधित मामलों को कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच (Constitution Bench) के पास भेजने पर सोमवार तक फैसला लेगी. बेंच ने कहा, ‘हम इस पर फैसला लेंगे कि मामले को 5 सदस्यीय कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच के पास भेजा जाए या नहीं.’

सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र में हाल के राजनीतिक संकट के दौरान शिवसेना और उसके बागी विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इस संकट से राजनीतिक दलों में विभाजन, विलय, दल बदल और अयोग्य करार देने समेत संवैधानिक मुद्दे पैदा हुए हैं.

शिंदे गुट से जवाब दाखिल करने को कहा था

इससे पहले, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में हालिया राजनीतिक संकट के मद्देनजर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले गुट से बुधवार को नए सिरे से जवाब दाखिल करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दायर याचिकाओं में उठाए गए कुछ संवैधानिक सवालों को लेकर किया था. 

चीफ जस्टिस एन वी रमणा, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बेंच शिवसेना और बागी विधायकों की याचिकाओं में पार्टी के विभाजन, विलय, बगावत और अयोग्यता को लेकर उठाए गए संवैधानिक सवालों पर सुनवाई कर रही है.

पार्टी में विलय पर ही बच सकती है बागियों की सदस्यता: सिब्बल

बुधवार को उद्धव ठाकरे गुट का पक्ष रखने के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि शिंदे गुट में जाने वाले विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से तभी बच सकते हैं, अगर वे अलग हुए गुट का किसी दूसरी पार्टी में विलय कर देते हैं. उन्होंने बेंच से कहा था कि उनके बचाव का कोई अन्य रास्ता नहीं है.

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शिंदे गुट का पक्ष रखने के लिए पेश हुए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा था कि दलबदल कानून उन नेताओं के लिए हथियार नहीं है जो पार्टी के सदस्यों को एकजुट रखने में सफल नहीं हुए हैं.

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