चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) और कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की राहें अब अलग हैं. इससे पहले, कांग्रेस ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि चुनावी रणनीतिकार पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे, हालांकि पार्टी ने भले ही उनके इस सियासी 'तलाक' की असली वजह का खुलासा नहीं किया है लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका कारण उनका आखिरी दिन आखिरी मिनट में गोलपोस्ट बदलना है.
शुरुआत में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने जब पीके की एंट्री के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया, तब उन्होंने जयराम रमेश और के.सी. वेणुगोपाल के माध्यम से राहुल गांधी से मुलाकात की. बाद में राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मिलवाया, जिन्होंने उनके सुझावों को देखने के लिए एक समिति बनाई. शुरुआत में पीके गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों का प्रबंधन करना चाहते थे और बदले में उन्हें बिहार कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाना था. सोनिया गांधी और पार्टी के नेताओं ने उनकी शर्त पर सहमति व्यक्त की और यह भी कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों के प्रबंधन के लिए टीम का हिस्सा बनें.
मीडिया रिपोर्ट से मुताबिक जब कांग्रेस ने एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप बनाने का विचार रखा, तो पीके पीछे हट गए. उनकी मांग की कि उन्हें सीधे पार्टी अध्यक्ष को रिपोर्ट करने वाले टीम लीडर का पद दिया जाए. कांग्रेस ने इससे इनकार कर दिया और उनकी सौहार्दपूर्ण ढंग से विदाई कर दी गई.