रविवार को वर्चुअली पंजाब के सभी AAP विधायकों को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि पंजाब में भगवंत मान की सरकार (Bhagwant Mann Government in Punjab) ने काम भी शुरू कर दिया है जबकि 4 राज्यों में जीत दर्ज कर चुकी बीजेपी अब तक सरकार भी नहीं बना पाई है. आइए जानते हैं कि वह कौन सी वजहें थी जो Uttar Pradesh, Uttarakhand, Manipur और Goa इन 4 राज्यों में जीत के बाद भी बीजेपी के रास्ते की अड़चन बनी रहीं...
उत्तर प्रदेश: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) में बीजेपी ने अकेले ही बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया लेकिन फिर भी सरकार गठन में देरी हुई है. इसकी एक वजह ये है कि बड़ा प्रदेश होने की वजह से बड़े दायित्वों की भूमिका भी तय करनी पड़ रही है. डिप्टी सीएम Keshav Prasad Maurya और कई मंत्रियों की हार के बाद कैबिनेट को नए सिरे से आकार देने की प्रक्रिया हुई है.
25 मार्च को योगी यूपी के सीएम के तौर पर शपथ लेंगे. कहा जा रहा है कि इस दिन नक्षत्र बहुत ही उत्तम है, स्थिर योग बन रहा है. इस दिन मूल नक्षत्र अष्टमी तिथि है जिसे शीतला अष्टमी भी कहते है. ऐसे युग में जो भी कार्य किया जाता है, उसमें कोई भी विघ्न बाधा नहीं आती है इसलिए 25 तारीख को Yogi Adityanath अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ ग्रहण लेंगे.
गोरख पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के शपथग्रहण के लिए दिन और तारीख तय करने के वजह से भी ये देरी हुई.
उत्तराखंड : उत्तराखंड में चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections 2022) से पहले ही बीजेपी ने दो बार सीएम बदले. जनता ने 3 मुख्यमंत्री देखे. जिन Pushkar Singh Dhami के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया, वह हार गए हैं. अब राज्य में सरकार गठन को लेकर सबसे बड़ा संकट सीएम पर ही है. विधायकों की बैठक भी टाल दी गई. पुष्कर सिंह धामी, मदन कौशिक और त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली बुलाया गया. सीएम बनने के दावेदारों में सतपाल महाराज, धन सिंह रावत और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी हैं. सीएम पद को लेकर फंसे पेंच की वजह से ही निर्णय प्रक्रिया में देरी हुई.
गोवा : गोवा में बीजेपी के दो चेहरों के बीच मुख्यमंत्री की रेस बताई जा रही है. विश्वजीत राणे (Vishwajit Rane) और पिछली सरकार में सीएम रहे प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) दोनों ही सीएम बनने की रेस में दिखाई दिए. राणे ने जहां चुनावी जीत के बाद राज्यपाल से मुलाकात की, वहीं सावंत ने विधायकों की इमर्जेंसी बैठक बुलाई. इसमें बीजेपी के 20 में से 17 विधायक पहुंचे थे. राणे और उनके पत्नी दिव्या राणे ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता लेकिन एक अखबार में दिए बधाई संदेश में प्रमोद सावंत को जगह नहीं दी. सावंत जहां 666 वोट से अपनी सीट बचा पाए वहीं राणे और उनकी पत्नी 8 हजार और 13 हजार से ज्यादा वोटों से जीते हैं.
सीएम बनने की दौड़ में शामिल इन दोनों नेताओं से अमित शाह ने भी मुलाकात की है. गोवा में संभवतः इसी वजह से सरकार गठन की प्रक्रिया में देरी हुई.
मणिपुर : Manipur की बात करें तो यहां एक नहीं बल्कि तीन मुख्यमंत्री पद के दावेदार सामने आए. रिपोर्ट के अनुसार आरएसएसस समर्थित युमनाम खेमचंद सिंह (Yumnam Khemchand Singh) का नाम भी इसमें जुड़ा. वह पिछली विधानसभा में स्पीकर थे. इनके अलावा थोंगम बिस्वजीत सिंह (Thongam Biswajit Singh) का नाम भी इसमें जुड़ा. 2012 में टीएमसी के टिकट पर विधानसभा के लिए चुने गए थोंगम ने 2015 में बीजेपी में एंट्री ली और उपचुनाव जीता. 2017 के विधानसभा चुनावों में सीट बरकरार रखने के बाद, उन्हें मणिपुर सरकार में शामिल किया गया. तीसरे दावेदार पिछली सरकार के सीएम एन बीरेन सिंह (N. Biren Singh) थे.
तीनों ही नेताओं से केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली में मुलाकात की. इस प्रक्रिया के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने एन. बीरेन सिंह के नाम पर ही मुहर लगाई. फिर मणिपुर में बीजेपी विधायक दल की बैठक में एन बीरेन सिंह को विधायक दल का नेता चुना गया. इस लंबी प्रक्रिया की वजह से मणिपुर में भी देरी हो गई.
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