Rakesh Sachan: UP की राजनीति में हमेशा से बाहुबली नेताओं का दबदबा रहा है. अपने रसूख के दम पर ये 'माननीय' चुनावी बयार का रुख अपनी तरफ मोड़ने में माहिर रहे हैं, लेकिन मंत्री रहते हुए सजा पाने वाले MSME मंत्री राकेश सचान (UP's MSME minister Rakesh Sachan) शायद पहले कैबिनेट मंत्री हैं जिन्हें अदालत ने किसी आपराधिक मामले में दोष सिद्ध करार दिया है. उन्हें एक साल की सजा हुई और उन्हें उच्च न्यायालय अपील करने का मौका भी मिला. जहां से उन्हें 50 हजार मुचलके पर जमानत दे दी गई. एसपी से बीजेपी में आए और मंत्री बने राकेश सचान का सियासी सफर आगे कौन सा करवट लेगा , ये कोर्ट के आगे के रुख पर निर्भर करेगा. लेकिन फिलहाल विपक्ष को बीजेपी को घेरने का मौका जरूर मिल गया है.
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लेकिन हकीकत ये है कि विपक्षी दल जब सत्ता में रहे तो उनके नेता विधायक आपराधिक मामलों में कई बार पकड़े गए, उन्हें जेल की सजा भी हुई और उनके जुर्मों की दास्तां ने लोगों को हिला कर रख दिया. यूपी में विधायक रहते कई माननीयों ने न केवल अपनी प्रतिष्ठा धूमिल कराई बल्कि जेल की सलाखों के पीछे भी गए. इनके कृत्यों के चलते उनके दलों के दामन पर भी दाग लगा. कुछ माननीय तो ऐसे रहे जिनके आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लग दी गई. कुछ तो अभी लंबे समय से जेल में है. मंत्री पद से हटने के बाद भी कई नेताओं को जेल की सजा मिली.
मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी वर्तमान में विधायक है. उस पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. वह इस समय फरार है. दूसरे विधायक नाहिद हसन जेल में हैं. अशोक चंदेल विधायक और सांसद रहे. इस समय में जेल में हैं. वह कभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. गायत्री प्रजापति तो मंत्री रहे. वह भी जेल की सजा काट रहे हैं. अमरमणि त्रिपाठी भी यूपी में मंत्री रहे. मधुमिता हत्याकांड में लंबे समय से आजीवन जेल की सजा काट रहे हैं. कुलदीप सेंगर और शेखर तिवारी विधायक रहे. इन्हें भी कारावास की लंबी सजा मिली है
वर्तमान यूपी विधानसभा की बात की जाए तो गंभीर आपराधिक मामले में फंसे विधायकों में बीजेपी के 255 में से 90 यानी 35 %, समाजवादी पार्टी के 111 में से 48 यानी 43 %, RLD के 8 में से 5 यानी 63 %, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 6 में से 4 यानी 67 %, निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल के 6 में से 4 यानी 67%, अपना दल (सोने लाल ) के 12 में से 2 यानी 17 %, काग्रेस के दोनों विधायक बहुजन समाज पार्टी के जीते एक विधायक पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इससे पता चलता है कि यूपी में सियासत और अपराध का गठजोड़ काफी पुराना है. अतीत में किए गए जुर्म जब अंजाम तक पहुंचते हैं तो इनके चमकते सियासी सफर को कभी ब्रेक लग सकता है. तो कभी हमेशा हमेशा के लिए सियासत पर पूर्ण विराम लग जाता है.
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