Republic Day 2023: गणतंत्र दिवस 2023 के अवसर पर आइए जानते हैं, 26 जनवरी ( 26 January) से जुड़े हुए 26 तथ्य...
पूर्ण स्वराज दिवस (Poorna Swaraj Diwas) या भारत का स्वतंत्रता दिवस (Indian Independence Day) सबसे पहले 26 जनवरी 1930 को ही मनाया गया था. इसी दिन राष्ट्र ने तय किया था कि वह ब्रिटिश राज से संपूर्ण आजादी लेकर रहेगा.
26 जनवरी 1950 को पहली परेड राजपथ पर नहीं बल्कि इर्विन स्टेडियम (Irwin Stadium) यानी मेजर ध्यानचंद स्टेडियम (Major Dhyan Chand National Stadium) में आयोजित की गई थी. तब स्टेडियम के चारों ओर दीवार नहीं थी और यहां पीछे पुराना किला भी दिखाई देता था. बड़ी बात ये है कि तब गणतंत्र दिवस सुबह नहीं, दोपहर को मनाया गया था.
1955 से गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन राजपथ ( First Republic Day Celebration on Rajpath ) पर होना शुरू हुआ. उस वक्त राजपथ को ‘किंग्सवे’ के नाम से जाना जाता था. 1955 से आज तक राजपथ ही इस आयोजन की स्थायी जगह बन चुका है.
भारतीय सेना के अलग अलग दस्तों को परेड में आपने देखा होगा लेकिन 2016 एक ऐसा साल रहा जब फ्रांस की सेना के जवान भी परेड में नजर आए थे. मौका था, 67वें गणतंत्र दिवस परेड (67th Republic Day Parade) का. फ्रांस की सेना के दस्ते के साथ ही फ्रांस की सेना का बैंड भी इसमें शामिल हुआ था. गणतंत्र दिवस के इतिहास में यह पहली बार था, जब किसी दूसरे देश की सेना भी इसमें शामिल हुई थी.
इसके बाद, 2017 में संयुक्त अरब अमीरात की सेना के 35 सदस्यीय बैंड और प्रेजिडेंट गार्ड के 149 सदस्यीय दस्ते ने भी परेड में मार्च किया. 2021 में, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (Bangladesh Mukti Sangram) की 50वीं सालगिरह के मौके पर बांग्लादेश की 122 सदस्यीय टीम भी परेड में शामिल हुई.
गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने वाला हर जवान 4 स्तरीय जांच से गुजरता है. इनके हथियारों की भी गहनता से जांच होती है. जांच का मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि कहीं किसी हथियार में जिंदा कारतूस न हो.
बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान 2021 (2020 को छोड़कर) तक हर साल अंग्रेजी भजन 'एबाइड बाई मी' (Abide By me) बजाया जाता रहा. इसे महात्मा गांधी का पसंदीदा बताया जाता था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जश्न में अधिक भारतीय धुनों को पेश करने के उद्देश्य से इसे हटा दिया गया है.
26 जनवरी 1950 वह तारीख है जिस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था. संविधान को बनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे थे.
भारतीय संविधान की मूल कॉपी ( Indian Constitution Original Copy ) को हाथ से लिखा गया था. इसकी दो ही प्रतियां हैं. एक अंग्रेजी में और दूसरी हिंदी में. इन्हें संसद भवन में हीलियम से भरे केस में सुरक्षित रखा गया है.
26 जनवरी को परेड कार्यक्रम राष्ट्रपति के आगमन के साथ शुरू होता है. सबसे पहले राष्ट्रपति के घुड़सवार अंगरक्षक राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हैं और इस दौरान राष्ट्रगान (National Anthem) बजाया जाता है और फिर 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है.
राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी ( 21 Gun Salute ) दी जाती है. ये सलामी राष्ट्रगान की शुरुआत से होती है और राष्ट्रगान पूरा होने तक पूरी हो जाती है. 21 तोपों की ये सलामी भारतीय सेना की सात तोपों से दी जाती है. इन्हें 25-पौंडर्स भी कहा जाता है. ये तोपें 1941 में बनी थीं. हर तोप से सलामी के दौरान 3 राउंड फायरिंग की जाती है.
दिलचस्प बात ये है कि तोप की फायरिंग का समय राष्ट्रगान बजने के समय से मेल खाता है. पहली फायरिंग राष्ट्रगान की शुरुआत में होती है और आखिरी फायरिंग 52 सेकेंड के बाद होती है. ये तोपें, सेना के सभी औपचारिक कार्यक्रमों में शामिल होती हैं.
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परेड में हिस्सा लेने वाले लोग तड़के 2 बजे तक तैयार हो जाते हैं और 3 बजे राजपथ पहुंच भी जाते हैं. परेड की तैयारी की बात करें तो इसकी तैयारी पिछले साल के जुलाई में ही शुरू हो जाती है, जब सभी प्रतिभागियों को औपचारिक रूप से सूचना दी जाती है. अगस्त तक, वे अपने संबंधित रेजिमेंट सेंटर पर परेड का अभ्यास करते हैं और दिसंबर तक दिल्ली पहुंच जाते हैं. 26 जनवरी को परेड में उतरने से पहले, ये सभी 600 घंटे तक का अभ्यास कर चुके होते हैं.
भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करने वाले सभी टैंक, बख्तरबंद वाहन और आधुनिक उपकरण इंडिया गेट के पास बनाए गए एक खास कॉम्प्लेक्स में रखे जाते हैं. हर तोप की जांच प्रक्रिया और रंग रोगन का काम 10 चरणों में किया जाता है.
26 जनवरी की परेड की रिहर्सल के लिए हर ग्रुप 12 किलोमीटर की दूरी तय करता है लेकिन 26 जनवरी के दिन वे 9 किलोमीटर की दूरी ही तय करते हैं. परेड के दौरान जज रास्ते भर बैठे रहते हैं, जो 200 पैरामीटर पर सभी को आंकते हैं. इसी के आधार पर "सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दस्ते" की उपाधि दी जाती है.
परेड में शामिल झांकियां लगभग 5 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती हैं. ऐसा इसलिए ताकि महत्वपूर्ण लोग उन्हें अच्छी तरह देख सकें. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन झांकियों के ड्राइवर जब इन्हें चला रहे होते हैं, तब एक छोटी सी खिड़की से वह बाहर देख पाते हैं.
घटना का सबसे आकर्षक हिस्सा "फ्लाईपास्ट" है. "फ्लाईपास्ट" की जिम्मेदारी पश्चिमी वायु सेना कमान पर है. इसमें लगभग 41 विमान शामिल होते हैं. परेड में शामिल विमान, वायु सेना के अलग अलग एयरबेस से उड़ान भरते हैं और तय समय पर राजपथ पहुंच जाते हैं.
आरटीआई से मिली एक जानकारी के मुताबिक, 2014 में राजपथ पर हुई गणतंत्र दिवस की परेड में 320 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. वहीं, 2001 में इसपर 145 करोड़ का खर्च आया था. इस तरह से 26 जनवरी की परेड में होने वाले खर्च में 2001 से 2014 के बीच 54.51 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई.
गणतंत्र दिवस परेड में किसी अन्य राष्ट्र के प्रमुखों को आमंत्रित करने की परंपरा है. 26 जनवरी 1950 को आयोजित हुई पहली परेड में, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो ( Indonesia President Dr. Sukarno ) बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. वहीं, राजपथ पर पहली बार 1955 में आयोजित हुए कार्यक्रम में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल, मलिक गुलाम मोहम्मद ( Malik Ghulam Mohammad ) शामिल हुए थे.
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है. इसमें 444 आर्टिकल हैं जिसमें 22 भाग और 12 अनुसूचियां हैं. हाल ही में संविधान में 118 संशोधन और जोड़े गए.
26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सुबह 10:24 बजे राष्ट्रपति पद की शपथ भी ली.
संविधान सभा की अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) ने की थी. डॉ बीआर अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) को ड्राफ्टिंग कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया था. डॉ अंबेडकर को "भारत के संविधान के वास्तुकार" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने भारत के लिए एक ऐसा संविधान बनाने में महान भूमिका निभाई जो देश के हर समुदाय और शख्स का प्रतिनिधित्व करता हो. अंबेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री बने.
9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक संसद के सेंट्रल हॉल में स्थित कॉन्स्टिट्यूशन हॉल ( Constitutional Hall ) में हुई.
26 जनवरी 1950 ही वह दिन था, जब भारतीय वायु सेना अस्तित्व में आई. इससे पहले इसे रॉयल इंडियन एयर फोर्स ( Royal Indian Air Force ) के नाम से जाना जाता था.
जन गण मन (राष्ट्रगान) सबसे पहले रबींद्रनाथ टैगोर ( Rabindranath Tagore ) द्वारा बंगाली भाषा में लिखा गया था. 1911 में आबिद अली ने इसका अनुवाद हिंदी में किया. 24 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया.
भारतीय संविधान दूसरे देशों से प्रेरित है. 5 साल की प्रणाली तब के यूएसएसआर से ली गई थी जबकि स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे का सिद्धांत फ्रांस के संविधान से.