उत्तर प्रदेश चुनाव खत्म हुए कुछ हफ्ते ही बीते थे कि अयोध्या जैसा एक मामला दिल्ली से सामने आ गया है. ये मामला कुतुब मीनार से जुड़ा है जिसकी शुरुआत विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल के उस दावे से हुई जिसमें उन्होंने कहा कि कुतुब मीनार का निर्माण 27 हिंदू-जैन मंदिरों को तोड़कर उसकी सामग्री से किया गया था.
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इस दावे के उलट मुस्लिम धर्मगुरू व विपक्षी पार्टियां लामबंद हैं और कह रहे हैं कि अतीत से उखाड़ी गई चीजों से भारत का भविष्य कैसे तैयार होगा. विनोद बंसल के बयान के बाद ही इस मुद्दे ने तूल पकड़ा और एक नया विवाद शुरू हो गया. इस विवाद पर एक टीवी चैनल में बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा- इतिहास में जितनी भी गलतियां हुई हैं उन सबका मोदी सरकार में सुधार होगा और ये सब कानून के रास्ते से सुनिश्चित होगा.
महरौली की बीजेपी पार्षद आरती सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधा. आरती सिंह बोलीं कि कुतुब मीनार में पहले पूजा होती थी लेकिन कांग्रेस के शासनकाल में उस पूजा को रोक दिया गया.
इंडिया-मुस्लिम फाउंडेशन के चेयरमैन शोएब जमई ने कहा कि क्या भारत का विश्व गुरू बनने का सपना अतीत से उखाड़ी गई चीजों से तैयार होगा. जमई बोले कि देश में लाठी-डंडों के जोर पर मनमाना व्यवहार किया जा रहा है.
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मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तस्लीम अहमद रहमानी ने कहा कि देश में इस समय हिंदू शासन है. तंज कसते हुए रहमानी बोले कि बीजेपी को चाहिए कि वो बुलडोज़र उठाए और सभी मस्जिदों को तोड़कर उन्हें मंदिरों में बदल दे. उन्होंने कहा कि आप लोग फैसले के लिए अदालत चले जाइए, बाद में अदालत उसे वेरिफाई कर देगी.
कुतुब मीनार के नाम को लेकर इतिहासकारों का अलग-अलग मत है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस भव्य मीनार का नाम गुलाम वंश के शासक और दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दिन ऐबक के नाम पर रखा गया है। कुतुब’ शब्द का अर्थ है ‘न्याय का ध्रुव’.
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक मुगलकाल में बनी इस भव्य इमारत का नाम मशहूर मुस्लिम सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया.