यूक्रेन-रूस (Russia Ukraine Crisis) पर दुनिया दो फाड़ हो जाए, उससे पहले इस भीषण लड़ाई का भारत पर हो सकने वाले संभावित असर का आकलन शुरू हो चुका है. यूक्रेन की राजधानी कीव (Ukraine Capital Kyiv) से भारत की राजधानी नई दिल्ली की दूरी 4500 किलोमीटर से ज्यादा है, जबकि मॉस्को (Russia Capital Moscow) से यह दूरी 4300 किलोमीटर से ज्यादा है. हालांकि, बात जब व्यापार की आती है, तो भारत के लिए रूस और यूक्रेन बराबर की अहमियत के तौर पर दिखाई देते हैं. आइए समझते हैं कि अगर Russia Ukraine Crisis बढ़ता है, तो भारत के लिए कौन से नए संकट उत्पन्न हो सकते हैं...
खाद्य तेल पर असर
भारत, दुनिया में सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है. भारत में कुल खपत का 90% सूरजमुखी तेल रूस और यूक्रेन से ही आता है. ऐसे में इस तेल की कीमत बढ़ सकती है. नवंबर-अक्टूबर (तेल सप्लाई वर्ष) 2020-21 में भारत ने कुल 18.93 लाख टन का सूरजमुखी का कच्चा तेल मंगाया. इसमें से 13.97 लाख टन यूक्रेन से अकेले था. अर्जेंटीना से 2.24 लाख टन और रूस से 2.22 लाख टन. ये आंकड़े बताते हैं कि यूक्रेन इस मामले में सबसे बड़ा निर्यातक देश है.
एनर्जी इंपैक्ट
कच्चे तेल की कीमत 7 साल में सबसे उच्चतम स्तर पर हैं, ब्रेंट ऑयल $ 100 के पार पहुंच चुका है. ऐसा 2014 के बाद पहली बार हुआ है. रूस, दुनिया भर में इसका बड़ा सप्लायर है. तेल और गैस की सप्लाई के लिए भी यूरोप, रूस पर ही निर्भर है.
JPMorgan Chase & Co ने भी तेल कीमतों में बढ़ोतरी का अंदेशा जताया था. अगर भारत की बात की जाए तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के बाद मीडिया से बातचीत में कहा था कि रूस-यूक्रेन संकट से कच्चे तेल की कीमत में होने वाली बढ़ोतरी देश की वित्तीय स्थिरता को खतरे में डाल सकती है. सरकार गहराई से इसपर नजर बनाए हुए है.
फार्मा सेक्टर पर असर
यूक्रेन को भारत के मुख्य निर्यात में फार्मा प्रोडक्ट शामिल हैं. जर्मनी और फ्रांस के बाद भारत, यूक्रेन को फार्मा प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करने वाला तीसरा सबसे बड़ा है. Ranbaxy, Sun Group और Dr Reddy’s Laboratories जैसी कंपनियों के रेप्रजेंटेटिव ऑफिस यूक्रेन में हैं. इन्होंने वहां Indian Pharmaceutical Manufacturers’ Association (IPMA) भी बनाया हुआ है. युद्ध के किसी भी भीषण हालात में इसपर भी असर होना स्वाभाविक है.
2020 में फार्मा सेक्टर में, भारत, यूक्रेन के लिए 15वां सबसे बड़ा एक्सपोर्टर और दूसरा सबसे बड़ा इंपोर्टर रहा. भारत के लिए इसी वर्ष यूक्रेन 23वां सबसे बड़ा एक्सपोर्टर और 30वां सबसे बड़ा इंपोर्ट मार्केट रहा.
छात्रों पर असर
ऐसे भारतीय छात्र जिन्होंने यूक्रेन में पढ़ाई के लिए वहां कॉलेज की फीस भर दी है और वह इस संकट के बीच फंसे हुए हैं, ऐसे छात्रों का भविष्य, युद्ध के हालात में अनिश्चितता से भर उठना स्वाभाविक है. कुछ दिन पहले ही यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी कर भारतीय छात्रों और नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कहा था. एडवाइजरी में छात्रों से अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी गई थी.
यूक्रेन में लगभग 18-20 हजार भारतीय छात्र पढ़ाई करते हैं, जबकि रूस में करीब 14 हजार भारतीय. इन दोनों ही देशों में ज्यादातर भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं. छात्र, कई टेक्निकल कोर्स की पढ़ाई भी इन दो देशों में करते हैं.
कीमती स्टोन पर असर
भारत, रूस से मोती, कीमती पत्थर, धातु भी इंपोर्ट करता है. इनमें रेयर स्टोल मेटल भी हैं, जिनका इस्तेमाल फोन और कंप्यूटर की मैन्युफैक्चरिंग में होता है. यदि, भारत को इन सामान की आपूर्ति कम होती है, तो फोन, कंप्यूटर, मोबाइल आदि के दाम बढ़ने स्वाभाविक हैं. बता दें कि भारत पहले ही सेमी कंडक्टर चिप की कमी से जूझ रहा है.
2020 में भारत ने रूस से $877.62 मिलियन के कीमती पत्थर, आदि खरीदे. इसी साल भारत ने लगभग 5700 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत के चीज़ें रूस से खरीदी थीं. इनमें, फर्टिलाइजर, मशीनरी, पशु उत्पाद, इलेक्ट्रिक सामान, आदि चीजें हैं. रूस को लेकर कहा जाए तो दोनों देशों के करीब 500 कारोबारी ऐसे हैं, जो चाय, कॉफी, चावल, मसाले के कारोबार से जुड़े हैं.