SC ON Freebies: रेवड़ी कल्चर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, गरीबों के लिए फ्री स्कीम्स जरूरी

Updated : Aug 25, 2022 14:52
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Editorji News Desk

SC ON Freebies: राजनीतिक दलों (political parties) की ओर से मुफ्त सुविधाएं (Freebies) देने के वादे पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि गरीबी (poverty) के दलदल में फंसे इंसान के लिए मुफ्त सुविधाएं और चीजें देने वाली स्कीमें (free scheme) काफी अहम है. सवाल यह है कि इस बात का फैसला कौन लेगा कि क्या चीजें मुफ्तखोरी के दायरे में आती है और किसे जनकल्याण माना जाएगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव आयोग को इस मामले में अतिरिक्त शक्ति नहीं दे सकते. अदालत ने बुधवार को भी इस मामले पर सुनवाई होगी. कोर्ट को तय करना है कि चुनाव से पहले किए जाने वाले वादे पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं. इस मुद्दे पर कई याप्रीचिकाएं सुम कोर्ट में दायर है. 

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सुविधाओं का क्या है पैमाना ?

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर दायर अश्विनी उपाध्याय की अर्जी पर सुनवाई हुई, जिसमें चुनाव में मुफ्त सुविधाओं का वायदा करने वाली राजनीतिक पार्टियो की मान्यता रदद् करने की मांग की गई है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट के पास आदेश जारी करने की शक्ति है, लेकिन कल को किसी योजना के कल्याणकारी होने पर अदालत में कोई आता है कि यह सही है, ऐसे में यह बहस खड़ी हो जाएगी कि आखिर न्यायपालिका को क्यों इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.

मुफ्त सौगात को पहचानने की जरूरत-कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि कोर्ट ये फैसला करेगा कि मुफ्त की सौगात होती क्या है? कोर्ट ने कहा कि क्या सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल, पीने के पानी तक पहुंच, शिक्षा तक पहुंच को मुफ्त सौगात माना जा सकता है. क्या किसानों को मुफ्त में खाद, बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया जाता है तो इसे मुफ्त सौगात कहेंगे या नहीं. सार्वजनिक धन खर्च करने का सही तरीका क्या है, इसे देखना होगा.

राजनीतिक दलों के चुनावी वादों पर रोक नहीं-कोर्ट


SC ने बीते बुधवार को कहा था कि राजनीतिक दलों और व्यक्तियों को संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने के उद्देश्य से चुनावी वादे करने से नहीं रोका जा सकता. साथ ही ‘फ्रीबीज’ (मुफ्त सौगात) शब्द और वास्तविक कल्याणकारी योजनाओं के बीच अंतर को समझना होगा. कोर्ट ने महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का उल्लेख किया और कहा कि मतदाता मुफ्त सौगात नहीं चाह रहे, बल्कि अवसर मिलने पर गरिमामय तरीके से आय अर्जित करना चाहते हैं.

CJI NV RamanaSupreme CourtFreebie

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