सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले में प्रिविलेज कमेटी की कार्रवाई पर रोक लगाने का फैसला किया है. इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और विशेषाधिकार समिति के नोटिस को चुनौती देते हुए याचिका भी दर्ज की थी. बता दें कि इस मामले में भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार की शिकायत पर लोकसभा सचिवालय की विशेषाधिकार समिति ने पश्चिम बंगाल के कुछ अधिकारियों को नोटिस जारी किया था जिसके बाद ममता सरकार टॉप कोर्ट पहुंची थी.
बता दें कि इस मामले में प्रिविलेज कमेटी ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी, DGP और संबंधित जिले के DM, एसपी और थानाध्यक्ष को समन जारी कर पेश होने का भी आदेश दिया था. संदेशखाली मामले की सुनवाई सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की. वहीं पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए.
रिपोर्ट्स के मुताबिक वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि मामले के वक्त चीफ सेकेट्री, डीएम और पुलिस कमिश्नर मौके पर नहीं थे लेकिन फिर भी उन्हें कमेटी के द्वारा तलब किया गया. अदालत को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि, "मामले में जो भी शिकायत दर्ज की गई है वो पूरी तरह से गलत है." सिब्बल बोले कि, घटना में पश्चिम बंगाल की आठ महिला पुलिस अधिकारियों समेत 38 पुलिस अधिकारी घायल हुए थे. दरअसल, बीते हफ्ते पुलिस ने बीजेपी सांसदों को संदेशखाली जाने से रोका था और खबर के मुताबिक झड़प के दौरान सुकांत मजूमदार को चोटें आई थीं.
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