SCO Summit 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) SCO समिट में हिस्सा लेने उज्बेकिस्तान (Ujbekistan) के समरकंद (Samarkand) पहुंच चुके हैं. जहां उनका स्वागत किया गया. पीएम मोदी उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव के निमंत्रण पर वहां पहुंचे हैं. बता दें कि उज्बेकिस्तान एससीओ का मौजूदा अध्यक्ष है.
मोदी-पुतिन की मुलाकात पर अमेरिकी की नजर
अमेरिका पीएम मोदी के दौरे पर करीब से नजर रख रहा है. क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि ईरान को SCO का पूर्णकालिक सदस्य बनाया जा सकता है. जाहिर है अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका के तीन दुश्मन देश रूस, चीन और ईरान एक मंच पर हो जाएंगे, ऐसे में भारत किस तरह अमेरिका के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को लेकर संतुलन बनाएगा इस पर भी नजर रहेगी. वहीं अमेरिका पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात पर भी करीब से नजर रख रहा है. क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद से ही अमेरिका और रूस के रिश्ते और बिगड़ते चले गए हैं. अमेरिका रूस पर कई तरह से प्रतिबंध लगा चुका है. वहीं भारत प्रतिबंधों के बावजूद रूस से अपनी दोस्ती निभा रहा है.
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मोदी-जिनपिंग मुलाकात पर सस्पेंस
प्रधानमंत्री मोदी का ये दौरा कई मायनों में अहम साबित होने वाला है, जिसमें रूसी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात से लेकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात होने की संभावना है. ऐसे में जब दो साल बाद शीर्ष नेता मिलेंगे तो दुनिया की नजरें इस मुलाकात पर होंगी. भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच ये मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. सीमा पर तनाव के साथ ही दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मुद्दा भी काफी अहम है. ऐसे में जब पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति से मिलेंगे तो टकराव के मुद्दों पर आम सहमति से सुलझाने के साथ ही विकास के मुद्दे पर एक साथ आगे बढ़ने पर बातचीत हो सकती है. विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि पीएम मोदी शुक्रवार को शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. हालांकि, शी के साथ आमने-सामने की मुलाकात को लेकर कोई पुष्टि नहीं की. चीन ने भी अभी तक दोनों नेताओं के बीच बैठक की पुष्टि नहीं की है.
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लद्दाख में हालात सामान्य करने की कोशिश
चीन ने गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स में पेट्रोल प्वाइंट 15 से अपने सैनिकों को वापस लेने की भारत की मांग को पिछले दिनों स्वीकार कर लिया था. कुछ विशेषज्ञों ने इसे पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में कदम बताया जो मई 2020 में शुरू हुआ था. इसके बाद ही दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था. दोनों देशों ने श्रृंखलाबद्ध सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ताओं के परिणाम स्वरूप पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारों पर और गोगरा इलाके से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी. पेट्रोल प्वाइंट 15 से सैनिकों की वापसी के बाद से समरकंद में मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात की संभावना को लेकर अटकल शुरू हो गई थी.