Sedition law: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में क्रिमिनल लॉ में बड़े बदलाव के लिए तीन विधेयक पेश किए. नए विधेयकों में अंग्रेज़ों के ज़माने से चले आ रहे कानूनों को बदलने के क्रम में सबसे ज्यादा चर्चा राजद्रोह या सेडिशन कानून को "हटाने" की है.
गृहमंत्री ने कहा कि नए प्रस्तावित कानून में "राजद्रोह" शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है. अब इसे भारतीय न्याय संहिता "सेक्शन 150" के तहत भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों के तहत रखा जाएगा.
सशस्त्र विद्रोह और अलगाववादी गतिविधियों को भी प्रस्तावित कानून में दायरे में रखा गया है. नए प्रस्तावित कानून के अनुसार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने पर सात साल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा या जुर्माना हो सकता है.
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि राजद्रोह कानून (आईपीसी के सेक्शन 124 A) के तहत 3-7 साल तक की जेल, उम्रकैद या जुर्माने का प्रावधान है. यानी प्रस्तावित कानून में सज़ा बढ़ा दी गई है.
इससे पहले इस साल जून में विधि आयोग ने राजद्रोह कानून का पुरजोर समर्थन करते हुए इसके तहत मिलने वाली सज़ा बढ़ाने की सिफारिश की थी.