Stridhan: महिलाओं के स्त्रीधन पर उनके अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने मजबूत किया है. बुधवार को अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्त्री धन दंपति की संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकती है और पति का पत्नी की संपत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं होगा. हालांकि जरूरत पड़ने पर स्त्री की सहमति से स्त्री धन का इस्तेमाल उसका पति कर सकता है लेकिन उसे फिर महिला को लौटाना होगा
कोर्ट ने कहा है कि महिला को अपने स्त्री धन पर पूर्ण अधिकार है चाहे वो शादी से पहले, शादी के वक्त, शादी के बाद में मिली हुई चीजें शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि माता-पिता, ससुराल पक्ष, दोस्तों रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट आदि स्त्री धन है
पीठ ने कहा कि 'यह महिला की पूर्ण संपत्ति है और उसे अपने इच्छानुसार बेचने या रखने का पूरा अधिकार है। पति का उसकी इस संपत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं है। वह मुसीबत के समय इसका इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन फिर भी, उसका यह दायित्व है कि वह उसी संपत्ति या उसके मूल्य को अपनी पत्नी को वापस कर दे। इसलिए, स्त्रीधन पति-पत्नी की संयुक्त संपत्ति नहीं बनती है और पति के पास इसका स्वामित्व या स्वतंत्र अधिकार नहीं है।' अदालत ने यह भी कहा कि अगर स्त्रीधन का बेईमानी से दुरुपयोग किया जाता है तो पति या उसके परिवार के सदस्यों पर IPC की धारा 406 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है