सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की मौत 18 अगस्त 1945 को एक विमान हादसे में हुई लेकिन देश की आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) की बहन विजय लक्ष्मी पंडित (Vijay Laxmi Pandit) ने एक ऐसा दावा किया जिससे लोगों को लगा कि नेताजी 1947 के बाद भी जिंदा थे.
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दरअसल, विजय लक्ष्मी पंडित जब रूस में भारत की राजदूत (Indian Ambassador in Russia) थीं तो भारत लौटने के बाद उन्होंने कहा- उनके पास एक ऐसी खबर है जो तहलका मचा सकती है. ये खबर आजादी से भी बड़ी है. तब लोगों ने इसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जोड़ कर देखा.
हालांकि विजय लक्ष्मी पंडित ने कभी भी उस खबर का खुलासा नहीं किया. बाद में श्रीमती पंडित के उस बड़ी खबर के बारे में छनछन कर डिटेल्स सामने आए लेकिन कभी भी स्वतंत्र रुप से इसकी पुष्टि नहीं हुई.
आज की तारीख का ताल्लुक है यूएन जनरल असेंबली (UN General Assembly) की पहली महिला अध्यक्ष विजय लक्ष्मी पंडित से...मोतीलाल नेहरू (Motilal Nehru) की बेटी और जवाहर लाल नेहरू की बहन श्रीमती पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को तब के इलाहाबाद और अब के प्रयागराज में हुआ था.
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अब बात उस राज की जिसका जिक्र हमने शुरू में किया था. विजय लक्ष्मी पंडित आज़ादी के बाद 1947 से 1949 तक रूस में राजदूत रहीं थीं. ये दौर भारत के लिए बड़ा सनसनीखेज था. क्योंकि तब गाहे-बगाहे सुभाषचंद्र बोस के रूस में होने की अफवाह उड़ती रहती थी. राजदूत रहते हुए उन्होंने भारत आने पर ये कहा था कि उनके पास बहुत बड़ी खबर है जिसे सुनकर सभी चौंक जाएंगे.
कहा जाता है कि तब खुद नेहरू ने उन्हें वो खबर बताने से रोक दिया था. ऐसा क्यों है ये अब तक नहीं पता. लेकिन कई जानकार ये दावा करते हैं कि ये खबर सुभाष चंद्र बोस की ही थी.
बात साल 2013 की है. मॉस्को में रामकृष्ण मिशन (Ram krishna mission) के प्रमुख रहे स्वामी ज्योतिरानंद ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि जब विजयलक्ष्मी पंडित सोवियत संघ (Soviet Union) में भारत की पहली राजदूत बनकर आईं तो उन्हें जेल में सुभाष चंद्र बोस को देखने का मौका मिला था.
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उन्हें रूस का ही एक बड़ा अधिकारी सुभाष के पास ले गया था. स्वामी के मुताबिक श्रीमती पंडित को सुभाष की कोठरी के बगल वाली कोठरी में एक छेद के जरिए बोस को दिखाया गया. उन्होंने बोस को बेचैन और मानसिक तौर पर बीमार पाया.
इसके बाद 28 अक्टूबर 2015 को जाधवपुर यूनिवर्सिटी (Jadavpur University) में रूसी भाषा की प्रोफेसर पूरबी राय का भी चौंकाने वाला दावा सामने आया. उन्होंने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर पोस्ट कर नेताजी के बारे में बातें कहीं. उन्होंने इस बारे में मिलेनियम पोस्ट अखबार से बातचीत में कहा कि वह आश्वस्त हैं कि सुभाष चंद्र बोस निश्चित रूप से रूस पहुंचे थे और शायद वहीं उनका निधन हुआ.
इसका विस्तार से जिक्र उन्होंने अपनी किताब द सर्च ऑफ नेताजी : न्यू फाइंडिंग्स (The Search for Netaji: New Findings) में किया. उनके इस भरोसे को रूसी इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज के सहयोगी जनरल अलेक्जेंडर कोलेशनिकोव की बातों से भी बल मिला. खुद कोलेशनिकोव ने पूरबी राय से कहा थि कि उन्होंने अगस्त 1947 में पोलित ब्यूरो मीटिंग की एक फाइल देखी थी. इस मीटिंग में वोरोशिलोव, मिकोयान, मोलोतोव और दूसरे रूसी नेताओं ने ये चर्चा की थी कि बोस को सोवियत संघ में रहने की इजाजत दी जाए या नहीं.
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बहरहाल, ये अब तक राज ही है कि विजयलक्ष्मी पंडित ने अपनी उस बड़ी खबर का खुलासा क्यों नहीं किया जबकि वो साल 1990 तक जिंदा रहीं थीं और इस दौरान नेताजी के बारे में जांच करने के लिए कई कमेटियां बनीं. वैसे खुद विजयलक्ष्मी का किरदार भी कम दिलचस्प नहीं है. वो जवाहरलाल नेहरू से 11 साल छोटी थीं और लेकिन कई मुद्दों पर वो नेहरू के सामने साफगोई से बात रखती थीं.
कहने वाले ये भी कहते हैं कि आजाद भारत के इतिहास में भाई-बहन की इतनी ताकतवर जोड़ी हुई नहीं है. पहले वे अपने पिता मोतीलाल नेहरू और बाद में भाई जवाहरलाल नेहरू के साथ राजनीति में सक्रिय रहीं. राजनीति में उन्होंने इतने वैरायटी के पोस्ट संभाले जो हैरान करते हैं. मसलन गुलाम भारत में साल 1937 से 1939 तक उन्होंने यूनाइटेड प्रोविन्सेज में 'लोकल सेल्फ-गवर्नमेंट' और 'पब्लिक हेल्थ' का डिपार्टमेंट संभाला. इसके बाद वे 1946 में संविधान सभा में चुनी गईं.
औरतों की बराबरी से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखी और बातें भी मनवाईं. आज़ादी के बाद 1947 से 1949 तक वो रूस में राजदूत रहीं. इसके तुरंत बाद वे दो साल तक अमेरिका की राजदूत रहीं. मतलब कम्युनिस्ट देश से सीधा कैपिटलिस्ट देश में! वो भी तब, जब दोनों देशों में कोल्ड वॉर चल रहा था.
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इसके बाद साल 1953 में वो यूएन जनरल असेंबली की पहली महिला प्रेसिडेंट बनी. वे 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र की गवर्नर रहीं और 1964 में जब नेहरू का निधन हुआ तो वो फूलपुर से लोकसभा में चुनी गईं. उनके बारे में ये जानकारियां बताती हैं कि उनका कद कितना बड़ा था शायद यही बड़ा कद उन्हें कोई बड़ा राज खोलने से रोक रहा था. हालांकि हम यहां फिर से साफ करना चाहते हैं कि हम किसी भी तरह से विजयलक्ष्मी पंडित द्वारा सुभाषचंद्र बोस को देखे जाने की पुष्टि नहीं करते.
अब चलते-चलते आज की दूसरी अहम खबरों पर भी निगाह डाल लेते हैं
1800: लार्ड वेलेजली ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज (Fort William College) की स्थापना की
1945: ताइवान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बुरी तरह घायल होने की खबर आई
1951: पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में IIT (Indian Institute of Technology Kharagpur) की स्थापना
2000: इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज को हराकर दो दिन में टेस्ट (Two Day Test) जीतने का इतिहास रचा