Supreme court: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त (election commissioner) के तौर पर अरुण गोयल (Arun Goyal) की नियुक्ति के लिए अपनायी प्रक्रिया पर सवाल उठाया और कहा कि उनकी फाइल को ‘‘जल्दबाजी’’ में मंजूरी दी गयी. जस्टिस के एम जोसेफ (Justice KM Joseph) की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि यह किस तरह का मूल्यांकन है? हम अरुण गोयल की योग्यता पर नहीं बल्कि प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं.
पीठ ने कहा कि 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गोयल ने एक ही दिन में सेवा से VRS यानी वोलंटरी रिटायरमेंट स्कीम ले ली, एक ही दिन में कानून मंत्रालय (ministry of law) ने उनकी फाइल पारित कर दी, चार नामों की सूची प्रधानमंत्री (Prime Minister) के समक्ष पेश की गयी तथा गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति (President of india) से मंजूरी मिल गयी.
यह भी पढ़ें: Jama Masjid: जामा मस्जिद में महिलाओं की No Entry! महिला आयोग ने जारी किया नोटिस
NDTV में छपी खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में इतनी जल्दबाजी क्यों? इतनी सुपरफास्ट नियुक्ति (superfast placement) क्यों? जस्टिस जोसेफ ने कहा कि 18 तारीख को हम मामले की सुनवाई करते हैं. उसी दिन आप फाइल पेशकर आगे बढ़ा देते हैं, उसी दिन पीएम उनके नाम की सिफारिश करते हैं. यह जल्दबाजी क्यों?
अरुण गोयल की नियुक्ति पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार एक ही दिन में नियुक्ति कर देती है और कोई नहीं जानता कि इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई? इस पर जस्टिस जोसेफ ने भी कहा कि किसी व्यक्ति को वीआरएस लेने में तीन महीने लगते हैं.
यह भी पढ़ें: Mathura: मथुरा में 'नशेड़ी चूहे' ! पुलिस थाने में 581 किलो गांजा खा जाने का दावा
दरअसल 5 जजों की पीठ चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.