सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को गाय को राष्ट्रीय पशु (Cow as National Animal) घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया. अदालत ने याचिकाकर्ता (petitioner) को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या ये कोर्ट का काम है? ऐसी याचिकाएं क्यों दायर करते हैं, जिन पर हम जुर्माना लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों से कोर्ट का वक्त बरबाद किया जाता है.
गोवंश सदन नाम के NGO की थी याचिका
दरअसल गोवंश सेवा सदन (Govansh Seva Sadan) नाम के एक NGO ने देश की सबसे बड़ी अदालत में याचिका दायर कर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की थी. NGO ने मांग की थी कि कोर्ट केन्द्र सरकार (central government) को इस संबंध में सीधे निर्देश जारी करे. इसी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस के कौल और जस्टिस अभय (Justice SK Kaul and Justice Abhay) की पीठ ने सख्त टिप्पणी की.
कोर्ट ने कहा कि आप अदालत में आ गए हैं तो, क्या कानून को अनदेखा किया जाए? आपने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है लेकिन ये नहीं बताया कि इससे किसका मौलिक अधिकार प्रभावित हुआ है? आप लोग ऐसी याचिकाएं दायर ही क्यों करते हैं?
Weather Update: अक्टूबर में क्यों हो रही मूसलाधार बारिश? - समझिए
अदालत ने फटकारा, कहा- याचिका वापस लें
इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि गोरक्षा बहुत जरूरी है. सरकार ने कई मामलों में कहा है कि गायों की हमेशा रक्षा की जानी चाहिए. हमें सब कुछ गायों से मिल रहा है लिहाजा इस पर विचार किया जाना चाहिए. इसी पर कोर्ट ने वकील को चेतावनी दी और कहा कि मामला वापस ले लिया जाए नहीं तो जुर्माना लगाया जाएगा.