Supreme court: सुप्रीम कोर्ट ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया (recruitment process) को लेकर सवाल उठाए हैं और चुनाव आयोग (election Commission) की आजादी को लेकर भी तल्ख टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारों ने चुनाव आयोग की आजादी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है.
मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि संविधान ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner) और दो निर्वाचन आयुक्तों के नाजुक कंधों पर बहुत जिम्मेदारियां सौंपी हैं. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे पदों पर बेहतर छवि वाले और गैर राजनीतिक व्यक्ति की नियुक्ति की जानी चाहिए. इसमें पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, ताकि बिना किसी प्रभाव के स्वतंत्र फैसले लिए जा सकें.
यह भी पढ़ें: Shraddha Murder Case: श्रद्धा ने जताई थी हत्या की आशंका, पुलिस से कहा था- वह मेरे टुकड़े-टुकड़े कर देगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में कई मुख्य चुनाव आयुक्त हुए हैं, लेकिन टी एन शेषन (T N Seshan) कभी-कभार ही होते हैं. हम नहीं चाहते हैं कि कोई उसे दबाए. 5 जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार पर कुछ बेहद तीखे सवाल दागे. सुप्रीम कोर्ट की राय है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को भी शामिल किया जाए, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया में कोई पक्षपात न हो.
- 2004 के बाद से CEC के कार्यकाल कम क्यों?
- निष्पक्ष और पारदर्शी नियुक्ति के लिए कानून क्यों नहीं?
- सरकार अपनी पसंद के व्यक्ति को CEC बना सकती है
- ऐसे शख्स की नियुक्ति हो जो स्वतंत्र फैसले ले सके
यह भी पढ़ें: UP News: अखिलेश ने डिंपल को जिताने के लिए मैनपुरी में डाला डेरा, रामपुर और खतौली में भी करेंगे प्रचार?
अब इस मामले पर केंद्र सरकार ने भी अपना जवाब दिया है. सरकार ने कहा कि सिर्फ काल्पनिक स्थिति के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट पर अविश्वास नहीं किया जाना चाहिए. अभी भी योग्य लोगों का ही चयन किया जा रहा है.