Tamilnadu News: किसी भी अपराध के लिए 15 या 20 साल जेल या अधिक से अधिक उम्रकैद की सजा की बात तो आपने बहुत सुनी होगी. लेकिन तमिलनाडु की एक अदालत ने सरकारी परिवहन निगम के पूर्व कर्मचारी को 383 साल जेल की सजा सुनाई है. यही नहीं, अदालत ने उसपर 3.32 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
ईटीवी भारत की खबर के मुताबिक, पूर्ववर्ती चेरन कॉरपोरेशन(सीटीसी) के एक पूर्व अधिकारी को शुक्रवार को 383 साल जेल की सजा सुनाई गई. यह सजा उसे 32 साल पुराने केस में सुनाई गई है. जिसमें क्षतिग्रस्त बसों की नीलामी के दौरान धन का दुरुपयोग किया गया था. दालत ने उसपर 3.32 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
प्रथम अतिरिक्त अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश पीके शिवकुमार ने सीटीसी के परिवहन विभाग में सहायक के रूप में काम करने वाले पी गोतंदापानी(82) को सजा सुनाई. रिपोर्ट के मुताबिक, गोतंदापानी और सात अन्य पर आरएस पुरम पुलिस ने 1990 में नवंबर 1986 और 9 नवंबर, 1988 के बीच सीटीसी की खराब हो चुकी बसों की नीलामी में 28 लाख रुपये के गबन का मामला दर्ज किया था. यह मामला ऑडिट के दौरान सामने आया था. जिसके बाद तत्कालीन सीटीसी के महाप्रबंधक ने शिकायत दर्ज कराई थी.
एफआईआर के मुताबिक, आरोपियों ने नीलामी में जीते लोगों को 14 बसें पूरा भगतान किए दे दिया. जबकि 44 बसों को आंशिक भुगतान के बाद ही बेच दिया गया. सीबी-सीआईडी ने मामले की जांच की और दिसंबर 1990 में आठ आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. केस चलने के दौरान इनमें से चार आरोपियों का निधन हो चुका है.
दोषी साबित हुए गोतंदपानी, नागराजन, मुरुगनाथन और दुरईसामी सजा सुनाये जाने के दौरान अदालत में मौजूद थे. न्यायाधीश शिवकुमार ने गोतंदापानी को छोड़कर बाकी 3 को रिहा कर दिया. न्यायाधीश शिवकुमार ने अपने फैसले में कहा कि गोतंडापानी के खिलाफ 3 धाराओं के तहत आरोप साबित हुए हैं. न्यायाधीश ने कहा कि वह अमानत में खयानत की धारा के तहत 47 अपराधों के लिए भई 4-4 साल (कुल 188 साल) और सरकारी संपत्ति के गबन के लिए 7 साल की सजा के काबिल हैं. इस तरह न्यायाधीश ने उन्हें कुल 383 साल की सजा सुनाई.
उसके खिलाफ अमानत में खयानत के 47 अपराधों में कुल 188 साल, जालसाजी के 47 मामलों में 188 साल और सरकारी संपत्ति के गबन के लिए 7 साल जेल की सजा सुनाई, जो कुल मिलाकर 383 साल की सजा हो गई.