Uniform Civil Code: केंद्र सरकार ने देश में सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है. संसद (Parliament) में इसे लेकर कभी भी बिल (Bill) पेश किया जा सकता है. राज्यों में इस कानून (Law) को परीक्षण के तौर पर बनवाया जा रहा है. सूत्रों के हवालों से आ रही खबरों के मुताबिक, राज्यों में बनने वाले नागरिक संहिता के कानूनों को बाद में केंद्रीय कानूनों में मिला दिया जाएगा. क्योंकि एक समानता लाने के लिए कानून का केंद्रीय होना जरूरी है.
उत्तराखंड (Uttrakhand) पहला राज्य है, जहां इस कानून को बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है...जिसकी अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई होंगी. सीएम धामी ने यह भी कहा कि कमेटी जल्द ही यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करेगी. इसके बाद सरकार इसे लागू कर सकती है.
उत्तराखंड के बाद मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश में भी कमेटी बनाई जा सकती है, क्योंकि ये राज्य समान नागरिक संहिता के लिए पहले ही हामी भर चुके हैं. इस मुद्दे पर कानून मंत्री किरण रिजिजू का कहना है कि, समान नागरिक संहिता लाना बीजेपी के मुख्य एजेंडों में से एक रहा है, और इसे हर हाल में पूरा किया जाएगा.
क्या है समान नागरिक संहिता
बता दें कि समान नागरिक संहिता का मतलब, देश में सभी नागरिकों के लिए एक तरह का कानून. शादी, तलाक, संपत्ति बंटावारा. बच्चों की कस्टडी समेत कई मामलों में सभी नागिरकों के लिए एक समान कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या जेंडर के हों.मौजूदा समय में देश में अलग-अलग धर्मों यानी हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई और पारसियों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं, जो उनके धार्मिक ग्रंथों पर आधारित हैं.