यूपी चुनाव खत्म हो चुका है और समाजवादी पार्टी ( Samajwadi Party ) के वरिष्ठ नेता आजम खां की नाराजगी भी सामने आ चुकी है. अब बुधवार को यूपी की राजनीति में नए समीकरण बनते दिखाई दिए. राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) चीफ जयंत चौधरी ( Jayant Chaudhary ) ने अचानक रामपुर का दौरा किया. जयंत ने यहां आजम की पत्नी और पूर्व विधायक तंजीम फातिमा ( Tanzeem Fatima ) से मुलाकात की. जयंत ने आजम के बेटे और स्वार सीट से विधायक अब्दुल्ला आजम ( Abdullah Azam Khan ) से भी मुलाकात की. इस मुलाकात ने सभी का ध्यान इसलिए भी खींच लिया है क्योंकि इस दौरान अखिलेश ( Akhilesh Yadav ) नहीं थे.
जयंत पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में हुई हिंसा ( Lakhimpur District Tikonia Violence ) के मामले के गवाह हरदीप सिंह से मुलाकात करने गए थे. सिंह के साथ पिछले दिनों कथित रूप से मारपीट की गई थी.
जयंत ने आजम खान के परिजन ( Azam Khan Family ) से बंद कमरे में मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'आजम खान साहब के परिवार के लोग प्रशासनिक तंत्र से नाराज हैं. परिवार मुश्किल वक्त से गुजर रहा है. मैं उनसे मिलने गया था क्योंकि मेरा इस परिवार से व्यक्तिगत लगाव है. मैं उनके साथ संपर्क में रहूंगा.'
आजम खान फरवरी 2020 से अब तक विभिन्न मामलों में सीतापुर जेल में बंद है.
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अखिलेश ( Akhilesh Yadav ) पर आजम खान सहित अन्य मुसलमानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने एसपी के लिए एकतरफा वोट किया मगर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुस्लिम समुदाय की मुसीबतों पर एक शब्द नहीं बोला. यहां तक कि उन्होंने आजम खान की रिहाई के लिए कोई आंदोलन भी नहीं चलाया.
इसके अलावा पिछली 12 अप्रैल को विधानपरिषद चुनाव ( Vidhan Parishad Chunaav ) में मतदान करने के बाद संभल से एसपी के सांसद शफीक उर रहमान बर्क ने भी एसपी पर मुसलमानों के लिए काम नहीं करने का आरोप लगाया था.
मुस्लिम नेताओं द्वारा एसपी के खिलाफ नाराजगी जताए जाने के मुद्दे पर आरएलडी अध्यक्ष चौधरी ने कहा, 'यह किसी का विरोध करने का मामला नहीं है. हर किसी को अपनी बात रखने की आजादी है. मुझे इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना है. मैं यहां सिर्फ इसलिए आया था क्योंकि आजम खान के परिवार से मेरा व्यक्तिगत लगाव है.'
आरएलडी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष मसूद अहमद ने भी विधानसभा चुनाव ( UP Assembly Elections 2022 ) के बाद इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने चौधरी पर अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दों पर खुलकर कुछ भी नहीं बोलने का आरोप लगाया था. इसके अलावा आरएलडी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सचिव तारिक परवेज ने भी ये ही आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था.
अपनी पार्टी के मुस्लिम नेताओं द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बारे में पूछने पर जयंत ने कहा, 'मुझे हाल ही में इस बारे में मालूम हुआ. कभी-कभी कुछ छोटे मुद्दे जहन में बाकी रह जाते हैं और मुझ तक नहीं पहुंच पाते. मैं उनसे बात करूंगा.'
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में कुल 34 मुस्लिम विधायक चुने गए हैं जिनमें से 32 एसपी के और दो राष्ट्रीय लोकदल के हैं. उत्तर प्रदेश में विभिन्न मामलों के आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाये जाने को गैरकानूनी बताते हुए चौधरी ने कहा, 'आखिर अपराधी कौन है, यह कौन तय करेगा? क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तय करेंगे या उनकी पुलिस करेगी? क्या देश में अब न्यायपालिका की कोई जरूरत नहीं रह गई है. अगर देश में संविधान और न्यायपालिका बची हुई है और नागरिकों के अधिकार अब भी सुरक्षित हैं, तो ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए.'