उत्तराखंड में एक निर्माणाधीन सड़क सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर इस बेहद मुश्किल काम को कैसे अंजाम दिया गया और क्या उपाय किए गए थे-
टनल के अंदर बनाया गया अस्पताल
सुरंग के अंदर एम्बुलेंस के अलावा स्ट्रेचर और गद्दे पहुंचाए गए थे और यहां एक अस्पताल भी बनाया गया था.
21 घंटे में हुई 12 मीटर खुदाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिल्क्यारा साइड से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग में लगे रैट माइनर्स ने हादसे के 17वें दिन दोपहर तक खुदाई को पूरा किया.
बार-बार आ रही थी रुकावट
की लोकेशन से महज 12 मीटर पहले ऑगर मशीन का टूटना एक बड़ी मुसीबत बना और इसकी वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन को रोकना पड़ा.
करीब 2.5 क्विंटल मलबा निकाला गया
रैट माइनर्स ने टनल के अंदर छोटे फावड़े की मदद से मिट्टी को बाहर निकाला और ऑगर मशीन के ब्लेड भी निकाले गए. मैन्युअल ड्रिल के मलबे को ट्रॉली से लाया गया बाहर. खबर है कि करीब 2.5 क्विंटल मलबा बाहर निकाला गया.
सेना और रैट माइनर्स की ली गई मदद
ऑगर मशीन के टूटने के बाद सेना और रैट माइनर्स को बाकी की ड्रिलिंग के लिए बुलाया गया . रैट माइनर्स ने 21 घंटे में 12 मीटर की ड्रिलिंग पूरी की और श्रमिकों को निकालने का रास्ता साफ हुआ.
Uttarkashi Rescue Operation: टनल से सुरक्षित बाहर आए श्रमिक ने सुनाई आप-बीती...जानें- क्या बोले?