Water crisis in maharashtra: दशकों पुरानी है महाराष्ट्र में पानी की समस्या, आजतक नहीं निकला समाधान

Updated : May 24, 2023 13:59
|
Editorji News Desk

महाराष्ट्र में पीने के पानी से लेकर सिंचाई तक के लिए पानी का संकट गहरा गया है. खेतों में फसल सूख रहे हैं और घरों में लोगों का गला. सत्ता बदलती रही, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ. अभी 35 गांवों में पानी का संकट सबसे ज्यादा है और आने वाले दिनों में तो आंकड़े कई गुणा बढ़ने की आशंका है. पिछले साल तो महाराष्ट्र के 455 गांव और एक हजार  से ज्यादा बस्तियों में यह संकट गहराया था.  पाना से राहत के लिए साल 2012-13 में 66 लाख रुपए खर्च हुए थे, जो 2021-22 में बढ़कर 10 करोड़ रुपए हो गए. यहां पाना का संकट तीन दशक से भी ज्यादा पुराना है.

बांधों में मात्र 35 प्रतिशत पानी बचा है

महाराष्ट्र में पानी की समस्या का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि यहां के बांधों में अभी मात्र 35 प्रतिशत ही पानी बचा है. कुल 35 गांवों और 113 बाड़ियों में जल संकट ज्यादा है और आने वाले दिनों में यह आंकड़ा कई गुना बढ़ सकता है.

सबसे ज्यादा रायगढ़ में है संकट

पानी सबसे ज्यादा समस्या रायगढ़ के  करजत, खालापुर, पेन, महाड, पोलादपुर और सुधागढ़ तहसील के गांवों में है. साल 2012-13 में यहां पानी से राहत कार्यों में 66 लाख से ज्यादा रुपए खर्च हुए थे, जो 2021-22 में बढ़कर करीब 10 करोड़ रुपए हो गए. रायगढ़ के जितने भी बांध हैं, उनमें से सात में 40 प्रतिशत से भी कम पानी बचा है. वहीं अन्य आठ में 40 प्रतिशत से ज्यादा पानी है.

साल 2022 में और भी ज्यादा थी समस्या


पिछले साल महाराष्ट्र के 455 गांवों और 1001 बस्तियों में पानी की सबसे ज्यादा समस्या हो गई थी. उस वक्त मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया था कि राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र के 8 जिलों के 76 शहरी केंद्रों में से केवल सात में ही हर दिन जलापूर्ति हो पा रही है. उस वक्त मई महीने में जलाशयों में मात्र 37 प्रतिशत ही पानी बचा था, जबकि 401 टैंकर कई इलाकों में जलापूर्ति कर रहे हैं.

कम बारिश है से बढ़ी मुसीबत

विशेषज्ञों की मानें तो पानी संकट की एक बड़ी वजह बारिश का कम होना भी है. पानी की समस्या से निपटने के लिए साल 1990 में एक कमेटी 'इंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट' बनाई गई. इस कमेटी के तहत गांव में कुआं खोदने और पेड़ लगाने का काम श्रमदान के जरिए शुरू किया गया. 
जब साल 1994-95 में गांव में आदर्श योजना आई तो उसने गांव के प्लान को और आगे बढ़ाया. आसपास 300 से ज्यादा कुएं खोदे गए. गांव में ट्यूबवेल खत्म हो गए और पानी के लेबल में भी सुधार हुआ.  लेकिन जल नियामक प्राधिकरण की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. 

 

Water Crisis

Recommended For You

editorji | भारत

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में दर्दनाक हादसा! कुएं में जहरीली गैस के रिसाव से पांच लोगों की मौत

editorji | भारत

Arvind Kejriwal Arrest: CM केजरीवाल के मामले में दिल्ली HC का CBI को नोटिस, कब होगी अगली सुनवाई?

editorji | भारत

Noida के Logix Mall में आग लगने की वजह से मची चीख-पुकार, देखें हाहाकारी VIDEO

editorji | भारत

Paris 2024 Olympics: PM मोदी ने खिलाड़ियों से की बात, दिया ये खास मंत्र

editorji | भारत

Amritpal Singh: अमृतपाल सिंह को शपथ ग्रहण के लिए दिल्ली ले जाया जाएगा, कैसी है पंजाब पुलिस की तैयारी?