भारत रत्न लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के निधन पर भारत सरकार ने दो दिन के राष्ट्रीय शोक (National Mourning) की घोषणा की है. क्या आप जानते हैं कि किसी के निधन पर कैसे राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है? क्या ऐसे में सरकारी संस्थानों में छुट्टी रहती है? राष्ट्रीय शोक के दौरान कितना कुछ बदल जाता है?
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- राष्ट्रीय शोक का मतलब है- जिनके निधन से पूरा राष्ट्र शोकाकुल हो और उनकी क्षति महसूस कर रहा हो.
- सरकार राष्ट्रीय शोक की घोषणा करती है और एक राजपत्र अधिसूचना काली पट्टी के साथ जारी की जाती है.
- गणमान्य व्यक्तियों के मामले में सरकार राष्ट्रीय शोक का ऐलान कर सकती है.
- राष्ट्रीय शोक के दौरान संसद, सचिवालय, विधानसभा, अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय भवनों या सरकारी कार्यालयों पर लगा राष्ट्रध्वज आधा झुका रहता है.
- इसके अलावा देश से बाहर स्थित भारतीय दूतावासों पर भी राष्ट्रध्वज आधा झुका रहता है.
- इस दौरान कोई सरकारी या औपचारिक कार्यक्रम को आयोजन नहीं किया जाता है.
- राष्ट्रीय शोक की अवधि के दौरान समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन की भी मनाही रहती है.
- राष्ट्रीय शोक के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी अनिवार्य नहीं है.
- लेकिन राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए किसी व्यक्ति का निधन हो जाए, तो छुट्टी होती है.
- सरकारों के पास किसी गणमान्य व्यक्ति के निधन के बाद सार्वजनिक अवकाश की घोषणा का अधिकार है.
- देश में किसी बड़ी आपदा के वक्त भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है.
- राष्ट्रीय शोक का एक महत्वपूर्ण पहलू राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार भी है.
- पहले राष्ट्रीय या राजकीय शोक की घोषणा केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकते थे
- अब राजकीय मामलों में राज्यों को भी ये अधिकार दिया जा चुका है. अब राज्य खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है.
- केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं.
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग-अलग राष्ट्रीय/राजकीय शोक की घोषणाएं की थीं.