क्या बुलेट ट्रेन (bullet train) प्रोजेक्ट राजनीति का शिकार हो गया है? ये सवाल रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) के उस बयान के बाद उठने लगे हैं जिसमें उन्होंने कहा कि 2026 में सिर्फ 48 किलोमीटर की दूरी में ही बुलेट ट्रेन का ट्रायल हो सकेगा. ABP न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र (Maharashtra) मे जमीन अधिग्रहण का काम पूरा ना होने के चलते बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. आलम ये है कि रेल मंत्री भी इसकी निर्धारित तारीख बताने से बचते नजर आ रहे हैं.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार बुलेट ट्रेन के लिए जमीन अधिग्रहण में रुचि नहीं दिखा रही और राज्य में अबतक सिर्फ 20 प्रतिशत जमीन का ही अधिग्रहण हुआ है. राज्य सरकार के मौजूदा रवैये पर रेल मंत्री भी सवाल उठाते हुए कह चुके हैं कि बुलेट ट्रेन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. केंद्र ने इससे पहले 2023 तक बुलेट ट्रेन चलाने का लक्ष्य रखा था.
ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिरकार महाराष्ट्र सरकार बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में रुचि क्यों नहीं दिखा रही. अधिकारियों की मानें तो इसके पीछे की वजह है राज्य सरकार के कई मंत्रियों का ये मानना कि बुलेट ट्रेन से महाराष्ट्र को कोई खास फायदा नहीं पहुंचेगा. मुंबई का व्यापार सूरत और अहमदाबाद शिफ्ट हो जाने का डर भी इसकी बड़ी वजह है. अहम ये है कि खुद महाराष्ट्र बीजेपी के नेता भी बुलेट ट्रेन को लेकर कई बार बयान देने से बचते रहे हैं और राज्य में जमीन अधिग्रहण के मामले को उनके द्वारा नहीं उठाया गया है.
बता दें कि महाराष्ट्र के पालघर में बुलेट ट्रेन के लिए सबसे ज्यादा जमीन का अधिग्रहण संभावित है. खुद रेलवे भी कह चुका है कि जब तक महाराष्ट्र में जमीन अधिग्रहण का काम पूरा नहीं होगा तब तक अहमदाबाद से नवसारी तक ही इस प्रोजेट्क्ट में काम किया जाएगा.