Morbi Bridge Collapse: सरकारी महकमा महज दो मैनेजर, क्लर्क् और सिक्योरिटी गार्ड की गिरफ्तारी दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रहा है. सवाल ये है कि उस कंपनी के मालिक के गिरेबान तक हाथ पहुंचना तो दूर FIR तक में उसका जिक्र नहीं है...इस सवाल के पीछे वजहें भी हैं
असली गुनहगार बाहर क्यों?
ये तो आसानी से समझा जा सकता है कि मोरबी पुल के खुलने से होने वाला फायदा मैनेजर और क्लर्क को तो नहीं हो रहा था...तो जो इसका असल लाभार्थी था वो कैसे जांच के दायरे में नहीं आया?
बता दें कि रविवार शाम की इस घटना में 135 लोगों की मौत हो गई है. अफोसनाक बात यह है कि मरने वालों में 50 से अधिक बच्चे और कई महिलाएं भी शामिल हैं. हालांकि अब तक इस मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें उनमें ओरेवा कंपनी के दो मैनेजर, दो मजदूर, तीन सिक्योरिटी गार्ड और दो टिकट क्लर्क शामिल हैं.
त्रासदी की शुरुआती जांच
स्ट्रक्चरल इंजीनियरों के साथ-साथ स्थानीय इंजीनियरों ने त्रासदी की शुरुआती जांच की. इसमें पता चला कि मरम्मत के दौरान पुल का वजन संभालने वाली एंकर पिन की मजबूती पर ध्यान ही नहीं दिया गया. यही वजह रही कि लोड पड़ने से पुल के दरबारगढ़ सिरे पर लगी एंकर पिन उखड़ गई और एक तरफ से कमजोर होकर पुल नदी में जा गिरा.