कोरोना काल (Corona Pandemic) ने कई मामलों में लोगों को आत्मनिर्भर बना दिया. मसलन हेयर कटिंग (Hair Cutting)... याद कीजिए साल 2020 में कोविड-19 (Covid-19) की पहली लहर के दौरान जब पूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) लगा था तो कई लोग घरों में खुद से ही अपनी हेयरकटिंग (Haircutting) कर रहे थे. कई लोग तो इस दौरान गंजे भी हो गए. क्योंकि लोगों के लिए यह लुक पाना सबसे आसान था.
कई लोगों ने तो सैलून बंद रहने की वजह से अपनी पत्नियों और बच्चों को ही हेयर डिजाइनर बना दिया. यही वह समय था, जब पीएम मोदी का लुक भी बदला. तभी से उन्होंने लंबे बाल और लंबी सफेद दाढ़ी रखना शुरू कर दिया. प्रधानमंत्री मोदी का यह लुक अप्रैल 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव तक रहा.
15 अगस्त 2021 को भी जब उन्होंने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया, तो वह लंबी सफेद दाढ़ी में दिखे. लेकिन सितंबर 2021 में अमेरिका दौरे के समय मोदी ट्रिम दाढ़ी और छोटे बालों में देखे गए.
RTI एक्टिविस्ट नीलेश जी प्रभु ने मई 2020 में एक आरटीआई दाखिल कर पूछा कि क्या लॉकडाउन के दौरान सैलून बंद होने से प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट के सहयोगियों पर उतना ही प्रभाव पड़ा, जितना किसी आम नागरिक पर पड़ा.
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि 19 मार्च 2020 और 4 मई 2021 के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बाल कितनी बार कटवाए और क्या इस दौरान उनकी कैबिनेट के मंत्रियों ने भी बाल कटवाए?
आरटीआई कार्यकर्ता प्रभु ने उस शख्स या नाई का भी ब्योरा मांगा, जिसने मोदी और उनके कैबिनेट मंत्रियों के बाल काटे.
शुरुआत में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया. जिसके बाद प्रभु ने मामले को आगे बढ़ाया. इस पर जन सूचना अधिकारी (PIO) ने जवाब देते हुए कहा, ‘मांगी गाई जानकारी निजी है और सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1) (जे) के तहत उजागर करने से छूट मिली हुई है.’
प्रभु ने इसके बाद सीआईसी से संपर्क किया, जिसने हाल ही में कहा कि उपयुक्त जवाब दे दिया गया है और प्राधिकरण यह न्यायोचित ठहराने में सक्षम नहीं है कि उनकी आवेदन में मांगी गई जानकारी से व्यापक जनहित जुड़ा हुआ है.
यह भी कहा गया कि आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी बेतुकी और मूर्खतापूर्ण है और यह स्पष्ट रूप से अधिनियम के प्रावधानों के दुरुपयोग के समान है.
इससे पहले जून 2020 में अनिल कुमार अग्रवाल ने भी मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लेकर अब तक किए गए कुल वेतन के भुगतान का ब्योरा मांगा था. हालांकि इस मामले में भी पीएमओ की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.. भले ही RTI आवेदकों को सवाल का जवाब ने मिले.. लेकिन इस तरह के RTI लोगों के मन में कौतूहल तो पैदा कर ही देते हैं.