टेक्सास के बायलर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय अमेरिकी छात्र के लिए डॉक्टर भगवान बन गए. दरअसल, बीते 27 जुलाई को अतुल नाम के एक छात्र को उसके साथी छात्रों ने सड़क पर गिरा हुआ पाया. आननफानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां मालूम हुआ कि अतुल के फेफड़ों में खून का थक्का जम गया है, जिससे उनके हार्ट में ब्लड फ्लो रुक गया है.
इस स्थिति को पल्मोनरी एम्बोलिज्म कहा जाता है. जिसकी वजह से अतुल को कार्डियक अरेस्ट हो गया. क्लॉट-बस्टिंग दवाओं से सुधरी हालत हैमरस्मिथ अस्पताल के कर्मचारियों ने अतुल को जीवित रखने के लिए रात भर कोशिश की हालांकि उसकी हालत में ज्यादा कुछ सुधार नहीं हुआ. जिसके बाद उसे गंभीर हालात में दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया.
इस दौरान कहा गया कि अतुल को एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) की जरूरत है - ये एक तरह का लाइफ सपोर्ट सिस्टम होता है जो हृदय और फेफड़ों के काम को पूरी तरह से बदल सकता है ताकि रोगी को ठीक होने का समय मिल सके.
लेकिन क्लॉट-बस्टिंग दवाओं ने काम करना शुरू कर दिया था और अन्य लाइफ सपोर्ट मशीनों की मदद से, वह ईसीएमओ के बिना ही ठीक होने लगा. मरीज के ठीक होने के बाद डॉ. लुइट ठाकुरिया ने बताया कि ये लगभग नामुमकिन था क्योंकि पूरे एक दिन में अतुल की धड़कन लगभग 6 बार रुक गई थी.