भारत को युवाओं (Youth) का देश कहा जाता है. पिछले साल तक भारत दुनिया का सबसे युवा आबादी (Youth Population) वाला देश था. साल 2021 में सामने आए यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (United Nations Development Program) यानी यूएनडीपी (UNDP) के आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में 121 करोड़ की युवा आबादी में भारत (India) की हिस्सेदारी करीब 21% थी. देश में सबसे ज्यादा युवा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी गर्व करते है. पीएम युवाशक्ति को नए भारत का आधारस्तंभ कहते हैं.
ऐसा होना भी लाजिमी है, क्योंकि इस युवाशक्ति की बदौलत ही दुनिया की 13 बड़ी अर्थव्यवस्था (Economy) में भारत की विकास दर तीसरे नंबर तक पहुंच गई. लेकिन अगले कुछ वर्षों में भारत से युवा देश का तमगा छिन सकता है. इसकी शुरुआत साल 2021 से हो चुकी है. मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन (Ministry of Statics and Program Implementation) की Youth in India 2022 की रिपोर्ट की मानें तो देश में जहां युवाओं की आबादी कम होती जा रही है. वहीं तेजी से बुजुर्गों (Elderly) की संख्या बढ़ती जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक 14 साल बाद यह स्थिति और भयावह होने वाली है.
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साल 2023 में हर 100 लोगों में से युवाओं की संख्या महज 23 होगी. जबकि 77 लोग उम्रदराज होंगे. यानी हमारा देश अब तेजी से 'बूढ़ा' होता जा रहा है. युवा और बुजुर्गों की आबादी को लेकर अलग-अलग राज्यों से जो ट्रेंड सामने आ रहे हैं, वो चौंकाने वाले हैं. ऐसे में देश में युवाशक्ति की आबादी कम होने और बुजुर्गों की संख्या बढ़ने का असर देश और समाज पर पड़ना तय माना जा रहा है.
मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 में देश में युवा आबादी करीब 27.6% थी. लेकिन उसके बाद से युवा आबादी में गिरावट आने लगी. रिपोर्ट की मानें तो 2021 तक देश की जनसंख्या (Population) 136.6 करोड़ होने का अनुमान है. जिसमें 15-29 वर्ष के युवा वर्ग की हिस्सेदारी करीब 27.3% यानी 37.14 करोड़ है. रिपोर्ट कहती है कि 2036 तक युवाओं की संख्या करीब 2.5 करोड़ कम हो जाएगी.
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यानी 2036 में युवाओं की संख्या घटकर 34.55 करोड़ हो जाएगी. देश की आबादी में इस वक्त बुजुर्गों की हिस्सेदारी (Elderly share in Population) करीब 10.1% है. जो 2036 तक बढ़कर 14.9% हो जाएगी. यानी बुजुर्गों की आबादी करीब 5% बढ़ जाएगी. जो पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा होगी. रिपोर्ट के अनुमानों के मुताबिक 2036 तक भारत की जनसंख्या में युवाओं की हिस्सेदारी (Youth share in Population) घटकर 22.7% हो जाएगी. यानी अगले 14 वर्षों में 100 में से 77 लोग उम्रदराज होंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल हर 100 लोगों में से 27 युवा और 10 बुजुर्ग हैं. जबकि 2036 में हर 100 लोगों में से सिर्फ 23 युवा बचेंगे, जबकि बुजुर्गों की संख्या 15 होगी. रिपोर्ट से साफ है कि अगले 14 साल में भारत में युवाओं की आबादी जहां कम होने लगेगी. वहीं बुजुर्गों की आबादी बढ़ने लगेगी. जो भारत के 'बूढ़ा' होने की ओर इशारा कर रही है.
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रिपोर्ट के आधार पर राज्यवार बात की जाए तो 2011 में युवा आबादी का पीक देखने को मिलता है. साल 2021 तक बिहार (Bihar) और UP में युवाओं की आबादी तेजी से बढ़ी. लेकिन इसके बाद इसमें कमी आने लगी जो अब तक जारी है. हालांकि दक्षिणी राज्य केरल (Kerela) इस मामले में अपवाद है, जहां साल 1991 में ही पीक देखने को मिला था.
रिपोर्ट के मुताबिक 2036 तक बिहार में 25.5%, उत्तर प्रदेश में 25.1%, मध्य प्रदेश में 24.7%, राजस्थान में 24.6%, झारखंड में 24.5%, छत्तीसगढ़ में 24.2% हरियाणा में 23.4%, असम में 22.9% और दिल्ली में 22.8% युवाओं की आबादी होगी. जबकि तमिलनाडु में सबसे कम 19.1%, केरल में 19.2%, हिमाचल प्रदेश में 19.5%, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में 19.6%, पंजाब में 19.9%, तेलंगाना में 20.2%, कर्नाटक में 20.8%, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में 21%, ओडिशा में 21.2%, उत्तराखंड में 21.9% और गुजरात में 22.6% युवाओं की आबादी होने का अनुमान है.
देश में युवाओं की आबादी कम होने के पीछे सबसे बड़ी वजह फर्टिलिटी रेट (Fertility Rate) में गिरावट को माना जा रहा है. साल 2011 में फर्टिलिटी रेट 2.4% थी. जो 2019 तक घटकर 2.1% पर आ गया. देश में नवजात मृत्यु दर (Infant Mortality) में भी कमी आई है. साल 2011 में हर 1000 जन्म पर 44 मौतें हो रही थीं. जो 2019 में घटकर 30 रह गई.
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इसी तरह क्रूड डेथ रेट (Crude Death Rate) में भी गिरावट आई है. क्रूड डेथ रेट का मतलब हर 1000 लोगों पर कितनी मौतें हो रही हैं. 2011 में क्रूड डेथ रेट 7.1% थी, जो 2019 में घटकर 6.0% हो गई. इस रिपोर्ट से साफ है कि 2011 से 2036 के बीच फर्टिलिटी रेट कम होने और औसत आयु (Average Age) बढ़ने से देश की डेमोग्राफी (Demography) में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. माना जा रहा है कि लिटरेसी रेट (Literacy Rate) बढ़ने, कम उम्र में शादी करने और बच्चे पैदा करने से रोकने के लिए सरकार की ओर से चलाई गई योजनाओं की वजह से फर्टिलिटी रेट में कमी आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक भविष्य में बुजुर्गों की आबादी (Elderly Population) ज्यादा होगी. जिससे निर्भर आबादी का अनुपात बढ़ेगा. देश में करीब 53.4% बुजुर्ग आबादी आर्थिक सुरक्षा (Financial Security) के लिए पूरी तरह अपने बच्चों पर निर्भर हैं. ऐसे में भविष्य में यह बोझ और बढ़ना तय है. इससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Facilities) और बुजुर्गों के लिए वेलफेयर स्कीम्स (Welfare Schemes) की मांग बढ़ेगी. साथ ही बुजुर्गों की आबादी बढ़ने से सामाजिक सुरक्षा (Social Security) का दबाव भी बढ़ेगा. इस मामले में भारत दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में काफी पीछे है.