Omicron & Vaccination: दुनिया से कोरोना का कहर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. जानलेवा डेल्टा वेरिएंट के बाद अब खतरनाक ओमिक्रॉन वेरिएंट का खतरा पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है. बड़ी बात ये है कि ये ऐसे देशों में भी फैल रहा है, जहां आधी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है. इस लिहाज से देखें तो भारत में अगर ये वेरिएंट प्रवेश करता है तो परिणाम घातक हो सकते हैं. क्योंकि वैक्सीनेशन के मामले में भारत ने भले ही रिकॉर्ड कायम कर लिया हो पर अब भी यहां मात्र 32 फीसदी आबादी को ही वैक्सीन की दोनों डोज लग सकी है.
देश में वैक्सीनेशन के आंकड़ों की बात करें तो 29 नवंबर तक देश में कुल 44.21 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन की दोनों डोज़ लगी है, यानि कि कुल आबादी का सिर्फ 32 फीसदी ही अभी पूरी तरह से वैक्सीनेट हुआ है.
जबकि 29 नवंबर तक 78.63 करोड़ लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लग चुकी है, यानि कुल आबादी का करीबन 57 प्रतिशत.
बताया जा रहा है कि पहले जो लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं उन्हें ओमिक्रॉन वेरिएंट से ज्यादा खतरा है. ऐसे में उन राज्यों को ज्यादा तैयारी की जरूरत है जहां कोरोना के मामले ज्यादा हुए हैं. जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी, केरल, कर्नाटक, वगैरह. यही नहीं उन राज्यों को भी ज्यादा सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है जहां फिलहाल कोरोना के मामले ज्यादा आ रहे हैं.
28 नवंबर तक के आंकड़ों के हिसाब से एक्टिव केसेज के साथ केरल टॉप पर है, तो उसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक का नाम है.
ओमिक्रॉन को लेकर भारत में एक और चिंता है, बच्चों का वैक्सीनेशन. जहां दुनिया के कई देशों में बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है, वहीं भारत में अब तक 18 साल से कम उम्र की पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की शुरुआत भी नहीं हुई है.
यही नहीं अक्टूबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, देश में करीब 10 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने सेकेंड डोज की डेट आने के बाद भी डोज नहीं लगवाया है. उधर, ज्यादातर राज्यों ने पांबदियां लगभग खत्म कर दी हैं, जो कोराना के फैलाव को बढ़ाने का काम कर सकता है.
ये भी पढ़ें: Omicron के खतरे से कैसे निपटेगी दिल्ली सरकार? CM केजरीवाल ने बताई रणनीति