यूपी में कांवड़ यात्रा (kanwar Yatra) की इजाजत को लेकर सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि वो या तो सांकेतिक कांवड़ यात्रा आयोजित करने पर फिर से सोचे या हम आदेश पारित करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को सोमवार तक जवाब देने का वक्त दिया है.इस बीच जहां केंद्र सरकार ने इसे लेकर एक हलफनामा दाखिल किया तो यूपी सरकार ने भी अपना संक्षिप्त पक्ष कोर्ट के सामने रखा. क्या कुछ हुआ कोर्ट में आइये देखते हैं.
जस्टिस नरीमन ने कहा कि हम सब भारत के नागरिक हैं और आर्टिकल 21 के मुताबिक Right to Lige सब पर लागू होता है. ऐसे में यूपी में कांवड की वास्तविक यात्रा 100 परसेंट नहीं हो सकती. कोर्ट ने कहा कि Prima Facie ये सभी से जुड़ा मामला है, और ये जीवन के अधिकार के केंद्र से जुड़ा है. लोगों की हेल्थ और जीवन का अधिकार सबसे ऊपर है, चाहे वो धार्मिक भावनाएं ही क्यों ना हों हम आ आपको एक यात्रा को रोकने पर विचार करने के लिए एक और मौका दे सकते हैं, लेकिन इसके बाद हमें आदेश पारित करना होगा ये सब्जेक्ट Suo Motu के तहत विचाराधीन है, फैसला आर्टिकल 21 से जुड़ा हुआ है. या तो आप फैसला लें या हमें लेना होगा.
हालांकि इस पर यूपी सरकार ने कोर्ट से कहा कि वो इस संबंध में सांकेतिक यात्रा की इजाजत देगी और वो भी उन लोगों को जिन्होंने टीका ले लिया है. वहीं बीच इस मसले पर केंद्र ने कांवड़ यात्रा का विरोध तो नहीं किया लेकिन धार्मिक भावनाओं का जिक्र जरूर किया. सरकार ने शीर्ष कोर्ट से कहा है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्य सरकारों को हरिद्वार से'गंगा जल' लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की इजाजत नहीं देनी चाहिए. हालांकि, धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकारों को विशेष स्थानों पर टैंकरों के माध्यम से 'गंगा जल' उपलब्ध कराने के लिए सिस्टम विकसित करना चाहिए.
इससे पहले कोरोना संकट को देखते हुए इस बार उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है. हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर रोक नहीं लगाई जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में खुद संज्ञान लिया