पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में तनातनी को खत्म करने के लिए भारत चीन के बीच हाल ही में हुई 13वें राउंड की बैठक बेनतीजा रही. उधर ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने भी चीन (China) को भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से सबसे बड़ा खतरा बताया है. जिसके बाद भारत ने सीमा क्षेत्र पर निगरानी बढ़ाने के साथ ही लद्दाख में आर्मी फॉर्मेशन में कई बड़े बदलाव किए हैं. सबसे बड़ा बदलाव नए कॉर्प्स कमांडर को लेकर किया गया है, जो इसी महीने टेकओवर कर लेंगे और अगले 14वीं बैठक को लीड भी करेंगे. इसके अलवा और भी कई बदलाव किए जा रहे हैं जिसमें अतिरिक्त ट्रूप्स और स्पेशल पैरा फोर्स की तैनाती, ड्रोन, सर्विलांस और रडार की मौजूदगी भी शामिल है.
दरअसल एक डिविजन में लगभग 12-15 हजार जवान होते हैं और लेह लद्दाख में भारत चीन की सीमा सबसे लंबी है, पिछले साल से पहले यहां महज एक डिविजन ही थी लेकिन अब स्थायी तौर पर 3 डिविजन और स्ट्राइक कॉर्प्स की तैनाती की जा रही है.
इसके अलावा एक डिविजन सिर्फ लेह के दूसरे हिस्से कारगिल , द्रास और सियाचिन को देखेगी. ये वो इलाका है जो पाकिस्तान के साथ लगता है.
नए बदलाव और सीमा रक्षा की तैयारियों का रक्षामंत्री 18 नवंबर को खुद जायजा लेंगे, उनके साथ आर्मी चीफ, नॉर्थन आर्मी कमांडर और 14 कॉर्प्स के आला अधिकारी भी शामिल होंगे.