J&K Parisiman: क्या अब जम्मू से तय होगा मुख्यमंत्री? जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में विधानसभा सीटों के लिए परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) ने जो रिकमेंडेशन की है, उससे तो यही लगता है. मोदी सरकार द्वारा बनाए गए परिसीमन आयोग ने जम्मू को 6 नई सीटें देने की सिफारिश की है जबकि कश्मीर को सिर्फ एक. अगर इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाती है तो जम्मू के पास विधानसभा (J&K Assembly) की सीटें बढ़कर 43 हो जाएंगी जबकि कश्मीर के पास 47. यानि अबतक कश्मीर का जो दबदबा रहा था वो कम हो जाएगा और सरकार बनाने में जम्मू का रोल अहम हो जाएगा. आपको बता दें कि जम्मू की सीटों पर बीजेपी की पकड़ है. यानि जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने में भाजपा क्षेत्रीय दलों से आगे हो जाएगी क्योंकि कश्मीर में कई दल हैं जबकि जम्मू में अकेली बीजेपी.
परिसीमन आयोग में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज रंजना देसाई (Ranjana Desai), मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा (Sushil Chandra) और जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को शामिल किया गया है. आयोग को 6 मार्च तक सभी सीटों का परिसीमन करना है जिसके बाद ही यहां चुनाव होगा.
सोमवार को परिसीमन आयोग की बैठक में केंद्रीय मंत्री और सांसद जितेंद्र सिंह और भाजपा सांसद जुगल किशोर मौजूद थे. इनके अलावा फारुक अब्दुल्ला, रिटायर्ड जस्टिस हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन भी दिल्ली में हुई इस बैठक में शामिल थे. आयोग ने सदस्यों से 31 दिसंबर तक अपने सुझाव सौंपने को कहा है.
पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने परिसीमन आयोग पर निशाना साधते हुए कहा- परिसीमन आयोग को लेकर मेरा डर बिल्कुल सही साबित हुआ. ये कमीशन सिर्फ बीजेपी के राजनीतिक इंटरेस्ट को सर्व करने के लिए बनाया गया है. इनकी कोशिश है कि अब जम्मू कश्मीर में ऐसी सरकार बने जो 2019 में केंद्र सरकार के अनैतिक और असंवैधानिक काम को सही बताए.
तो वहीं उमर अब्दुल्ला (Omar Abdulla) ने भी इसे 2011 के सेंसस के खिलाफ बताते हुए कहा कि ये कमिशन सिर्फ भाजपा के एजेंडे को सर्व कर रहा है. केंद्र सरकार ने वादा किया था कि ये साइंटिफिक अप्रोच के साथ काम करेगा, लेकिन अब ये साफ है कि इसका अप्रोच सिर्फ पॉलिटिकल है.
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