PM Cares Fund: PM केयर्स फंड को लेकर एक बार फिर उठे सवालों के बीच प्रधानमंत्री दफ्तर यानि PMO ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि इसपर न तो केंद्र सरकार का और ना ही किसी राज्य सरकार का कोई नियंत्रण है, और ना ही ये RTI के दायरे में आता है. PMO ने अपने हलफनामे में कहा है कि इस फंड को भारत सरकार नहीं बल्कि एक चैरिटेबल ट्रस्ट चलाती है.
सरकार के इस फंड को 'थर्ड पार्टी' कहने से कई सवाल खड़े हो गए हैं. याचिकाकर्ता वकील सम्यक गंगवाल ने अदालत को बताया है और सवाल उठाया है कि जब सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है तो फिर प्रधानमंत्री (PM Modi) क्यों इसके अध्यक्ष हैं और रक्षा, गृह और वित्त मंत्री क्यों इसके ट्रस्टी हैं. क्यों इसका मेन ऑफिस PMO के अंदर है, और क्यों पीएमओ के एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी इसे देखते हैं.
पीएम दफ्तर ने बताया है कि ट्रस्ट पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है, PM Cares Fund का ऑडिट भी होता है और फंड के पैसे का हिसाब किताब ट्रस्ट अपनी वेबसाइट पर भी अपडेट करता है. वहीं याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि PM Cares Fund की वेबसाइट पर सिर्फ 2019-20 में आए चंदे की ही जानकारी है, वो भी सिर्फ 27 से लेकर 31 मार्च तक.
PMO का ये जवाब दरअसल उस याचिका को लेकर आया है जिसमें मांग की गई है कि पीएम केयर्स फंड को राज्य का घोषित किया जाए और इसमें पारदर्शिता के लिए इसे RTI के दायरे में लाया जाए. कांग्रेस ने भी गुरुवार को एक बार फिर मोदी सरकार से पीएम केयर्स फंड का लेखा जोखा मांगा. कांग्रेस ने पूछा है कि पीएम केयर्स फंड में आए 40 से 50 हज़ार करोड़ रुपये कहां गए, क्यों इस पैसे को गुप्त रखा जा रहा है.