देश में कोरोना वैक्सीनेशन (Vaccination) का आंकड़ा 100 करोड़ के पार हो चुका है लेकिन वैज्ञानिकों को री- इंफेक्शन की चिंता सता रही है. क्योंकि टीकाकरण के बाद भी कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप पर (Delta variant) कोई असर नहीं है. हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं की टीकाकरण से मामले नियंत्रण में आए हैं, लेकिन वैक्सीन की दोनों डोज लेने और शरीर में फुल एंटीबॉडी विकसित होने के बाद भी कोई शख्स संक्रमित नहीं होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है.
री-इंफेक्शन और वैक्सीन ब्रेक थ्रू केस पर पहले चिकित्सीय अध्ययन (study) में ये बात सामने आई है कि डेल्टा वेरिएंट कमजोर नहीं पड़ा है. स्टडी के तहत मरीज के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान उन्हें डेल्टा स्वरूप मिला और पता चला कि यह साल भर बाद भी उतना ही आक्रामक रह सकता है.
ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन लेने के बाद अगर किसी को संक्रमण होता है तो ऐसे मामलों की निगरानी बेहद जरूरी है क्योंकि इनके आधार पर वायरस की प्रतिक्रिया के बारे में समय रहते जानकारी मिल सकती है. पुणे स्थित डॉ. डीवाई पाटिल विद्यापीठ, नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी और गाजियाबाद स्थित एकेडमी फॉर साइंटिफिक एंड इनोवेटिव बायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह अध्ययन किया है