ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट (Tribunal Reforms Act) और उनमें नियुक्तियों में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने केन्द्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि हमें लगता है कि केंद्र सरकार (central government) को इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है, लेकिन हमारे सब्र का इम्तेहान न लें. सुप्रीम कोर्ट ने सभी ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों के लिए सरकार को अब एक हफ्ते का वक्त दिया है.
दरसअल सर्वोच्च अदालत ट्रिब्यूलनों में नियुक्तियों और ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट, 21 के खिलाफ डाली गई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. इसी दौरान CJI ने कहा कि हमें बताइए कि कितनी नियुक्तियां हुई हैं. हमारे पास तीन ही विकल्प हैं, पहला कानून पर रोक लगा दें, दूसरा ट्रिब्यूलनों को बंद कर दें और खुद ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति करें और फिर सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करें.
इस दौरान जब एसजी तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने नए विधेयक का हवाला दिया तो कोर्ट ने कहा कि हम जिन ट्रिब्यूनलों की सिफारिशों के बारे में बात कर रहे हैं, वे इस सुधार विधेयक के अस्तित्व में आने से 2 साल पहले भेजे गए थे. आपने उन्हें नियुक्त क्यों नहीं किया? जस्टिस डीवीआई चंद्रचूड ने कहा, हम एक अधिनियम को रद्द करते हैं और फिर दूसरा नया सामने आ जाता है. यह एक समान पैटर्न बन गया है.