Supreme Court ने एक बार फिर पूरा जोर देकर कहा है कि किसी मुद्दे पर विरोध के हिस्से के रूप में राजमार्गों (National Highways) को हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने ये टिप्पणी कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन (Farmer's protest) और इसके चलते बंद पड़े दिल्ली को जोड़ने वाले हाइवे को खोलने को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान की. जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों पर आदेश दिया जा चुका है. सरकार का काम है उसे लागू करना. आप क्या चाहते हैं कि हम बार-बार एक ही बात को दोहराएं.
दरअसल शाहीन बाग में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान कोर्ट ने रोड ब्लॉक करने से जुड़ी एक याचिका पर फैसला देते हुए कहा था कि आंदोलन के नाम पर किसी सड़क को लंबे समय के लिए रोका नहीं जा सकता है. धरना-प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम प्रशासन की तरफ से तय की गई जगह पर ही होने चाहिए.
अब किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिका में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए कहा कि किसान संगठन सहयोग नहीं कर रहे हैं लिहाजा सरकार रास्ता खाली करवा नहीं पा रही. उन्होंने इस मामले में किसानों को भी एक पक्ष बनाने की अपील कोर्ट से की जिसपर अदालत ने उन्हें आवेदन देने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई अब 4 अक्टूबर को होगी.
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