सेना में महिला अफसरों (Female officers) को परमानेंट कमीशन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने आर्मी को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारा समाज पुरुषों द्वारा पुरुषों के लिए बनाया गया है.
आर्मी ने मेडिकल के लिए जो नियम बनाए हैं वो महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करते है. दरअसल साल 2010 में कोर्ट ने महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन (Permanent commission) देने का आदेश दिया था, लेकिन 284 में से सिर्फ 161 महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया गया है.
अब देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि आर्मी का मेडिकल क्राइटेरिया (Medical criteria) सही नहीं था. जिनको रिजेक्ट किया गया है उन्हें एक और मौका दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि एक महीने के अंदर इन महिलाओं का फिर से मेडिकल होगा और दो महीने के अंदर परमानेंट कमीशन दिया जायेगा अगर वो मेडिकली फिट होती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि महिला अफसर अपने नौकरी के 10वें साल में जिस मेडिकल स्टैंडर्ड में थी उसी के हिसाब से उनको आंका जाए.