केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में स्वीकार किया है कि सीमा के उस पार चीन बड़े पैमाने पर हेलीपैड, इमारतें और गांव बना रहा है, लिहाजा हमें भी हमारी सीमा में 900 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने और उसके चौड़ीकरण की अनुमति दी जाए. जिसके जवाब में देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि रक्षा से जुड़ी चिंताओं को पर्यावरण (Environment) के आधार पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यहां तक कहा कि हम भारतीय सैनिकों (Indian soldiers) को 1962 के हालात में नहीं देखना चाहते.
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दरअसल एक NGO की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. जिसमें कहा गया है कि चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) राजमार्ग को राजनीतिक उद्देश्य से 10 मीटर चौड़ा किया जा रहा है. सेना ने कभी नहीं कहा कि वो सड़कों को चौड़ा करना चाहती है, याचिका में दावा किया गया है कि सेना इस मामले में अनिच्छुक भागीदार बन गई है. इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पर्यावरण की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते लेकिन यदि यह सड़क पर्यटन के लिए होती तो हम इस पर कड़े प्रतिबंध लगाते. कोर्ट ने कहा कि रक्षा और पर्यावरण दोनों की जरूरतें संतुलित होनी चाहिए.