सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई को दौरान अहम टिप्पणी की है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि चाहे कितने भी पुख्ता आधार वाला शक क्यों नहीं हो, किसी सबूत की जगह नहीं ले सकता है. कोर्ट ने कहा कि एक आरोपी तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक उसे दोषी साबित नहीं कर दिया जाता. सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ हत्या के एक मामले में आरोपियों को बरी करने के ओडिशा हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया. दरअसल उड़ीसा हाईकोर्ट ने बिजली का करंट देकर एक होमगार्ड की हत्या करने के दो आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि मौत बिजली के करंट से हुई, लेकिन इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि यह हत्या का मामला है.