NCB अधिकारी समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) और NCP नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) के बीच चल रही जुबानी जंग अब अदालत तक पहुंच गई है. बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने इस मामले पर सुनवाई की. अदालत ने साफ किया कि समीर वानखेड़े सरकारी अधिकारी हैं और कोई भी उनके कामकाज की समीक्षा कर सकता है. दरअसल समीर के पिता ध्यानदेव वानखेड़े (Dhyandev Wankhede) ने एनसीपी नेता नवाब मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है. इसी पर बुधवार को पहली सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान ध्यानदेव वानखेड़े के वकील अरशद शेख (Arshad Sheikh) ने सवाल किया कि समीर को ऐसे व्यक्ति को स्पष्टीकरण क्यों देना चाहिए जो 'सिर्फ एक विधायक है कोई अदालत नहीं.' इसी पर जस्टिस माधव जामदार ने कहा कि आप सरकारी अधिकारी हैं. आपको सिर्फ इतना साबित करना है कि मलिक के ट्वीट पहली नजर में गलत हैं. समीक्षा पर सवाल नहीं उठा सकते.
सुनवाई के दौरान अदालत ने नवाब मलिक के वकील से भी कहा कि वे इस संबंध में हलफनामा दायर करें कि उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट करने से पहले दस्तावेजों का सत्यापन किया था. इसके साथ ही वानखेड़े परिवार को कहा गया कि मलिक के आरोप झूठ हैं यह साबित करने के लिए वे भी अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करें. अब इस पर सुनवाई 12 नवंबर को होगी.
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