फ्लिपकार्ट (Flipkart) और ऐमज़ॉन (Amazon) पर सेल मे मोबाइल फ़ोन्स पर बेस्ट डील मिल रही है. iPhone 13 को सेल की शुरुआत में 50 हज़ार से कम की कीमत में खरीदा जा सकता था और अब भी यह लगभग 58 हज़ार रूपए में बिक रहा है. आपको जानकार हैरानी होगी की इस फ़ोन को पिछले साल लगभग 80 हज़ार रूपए में लॉन्च किया गया था. यानि एक साल में लगभग 30 हज़ार रूपए का डिस्काउंट.
इसी तरह महज़ दो महीने पहले लॉन्च हुए Google Pixel 6a की कीमत 44 हज़ार रूपए थी लेकिन अब इसे फ्लिपकार्ट पर लगभग 28000 रूपए में खरीदा जा सकता है. सोचिये उन कस्टमर्स का जिन्होंने 45 हज़ार में ये स्मार्टफोन खरीदा होगा?
अब आपके दिमाग में भी यह सवाल आ रहा होगा, आखिर ये ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स इतना ज़यादा डिस्काउंट कैसे ऑफर कर पाते हैं (How do e-commerce platform offers heavy discount? ). इस वीडियो में हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं.
स्टॉक क्लीयरेंस (Stock Clearance)
अक्सर ऐसी डिस्काउंट वाली सेल सितम्बर के बाद ही शुरू होती है और इन्ही महीनों में कंपनियां अपने पुराने स्टॉक को निकालना शुरू कर देती है. उदहारण के लिए गूगल, पिक्सेल की नयी 7 सीरीज (Pixel 7 Series) भारत में भी लॉन्च करने वाला है और नयी सीरीज के आते ही 6 सीरीज अपने आप पुरानी हो जाएगी. तब इसके रेट अपने आप कम भी हो जायेंगे. इसी लिए गूगल, pixel 6a को इतने कम रेट पर बेच रहा है. इससे एक सवाल भी उठता है, क्या pixel 6a को भारत में पहले ही कम प्राइस पर लॉन्च किया जा सकता था?
बैंक ऑफर्स (Bank Offers)
इन सेल में अपने अक्सर बैंक ऑफर्स को भी नोटिस किया होगा. ये बैंक ऑफर्स भी यूजर्स को हज़ारों रूपए का बेनिफिट दे देते हैं. आपको भी लगता होगा काश इस बैंक का कार्ड मेरे पास भी होता तो मुझे भी इस पर अच्छी डील मिल जाती.पर क्या आपको पता है ये बैंक ऑफर्स में बैंक अपना पैसा लगाते हैं? जी हाँ ये डिस्काउंट फ्लिपकार्ट या ऐमज़ॉन नहीं देते बल्कि बैंक देते हैं ताकि लोगों को क्रेडिट कार्ड लेने या उनके बैंक में अकाउंट खोलने के लिए प्रेरित कर सके.
प्रॉफिट शेयरिंग में कमी (Reducing Profit Share)
सेल में मिलने वाले बंपर डिस्कॉउंट के पीछे एक वजह ये भी है ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और कंपनियां दोनों ही अपने प्रॉफिट शेयर को कम कर लेती हैं. इससे उन्हें सेल में भारी ऑर्डर्स देखने को मिलते हैं. ज्यादा ऑर्डर्स होने के कारण एक साथ मैन्युफैक्चरिंग की जा सकती है जिससे कंपनी का पैसा बच जाता है और सेल्स भी बढ़ जाती है. वहीं ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ऐसी डील्स देकर कस्टमर्स को अपने प्लेटफॉर्म्स पर ले आती हैं. ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा होती है जो सिर्फ सेल्स में ही ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर शॉपिंग करते हैं. कुल मिलकर ई कॉमर्स प्लेटफार्म को यूजर्स, ब्रांड्स को सेल और कस्टमर्स को डिस्काउंट मिल जाता है.