मोबाइल सिम कार्ड खरीदने के लिए नकली दस्तावेज प्रस्तुत करना या व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल जैसे प्लेटफॉर्म पर अपनी पहचान छुपाना अब आपको जेल की सैर करा सकता है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार नए टेलीकॉम बिल के ड्राफ्ट में ऐसे प्रावधान हैं जिससे फ़र्ज़ी सिम लेने या WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पहचान छुपाने पर जेल और 50 हज़ार रूपए का जुरमाना या दोनों हो सकते है.
दरअसल टेलीकॉम यूजर्स को ऑनलाइन धोखाधड़ी और अवैध गतिविधियों से बचाने के लिए ड्राफ्ट विधेयक में इस तरह का प्रस्ताव किया गया है. साइबर अपराधी अपराध करने के लिए अकसर फ़र्ज़ी सिम कार्ड लेते हैं और WhatsApp जैसे OTT ऐप्स पर होनी पहचान भी बदल लेते हैं.
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डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकॉम के एक्सप्लैंटरी नोट के अनुसार “यह टेलीकॉम सेवाओं का उपयोग करके किए गए साइबर धोखाधड़ी को रोकने में मदद करेगा. इसलिए, लोगों की पहचान से संबंधित प्रावधानों को विधेयक में शामिल किया गया है.
टेलीकॉम बिल के सेक्शन 7 के सब-सेक्शन 4 में कहा गया है यह निर्धारित करने की आवश्यकता है कि पहचान को गलत तरीके से प्रस्तुत करने से 1 वर्ष तक की कैद, 50,000 तक का जुर्माना, टेलीकॉम सेवाओं का निलंबन हो सकता है; या इनमें से कोई एक कॉम्बिनेशन. बता दें इस तरह के अपराध में पुलिस अपराधी को बिना किसी वारंट या अदालत की अनुमति के गिरफ्तार कर सकती है.
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हाल ही में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि नया विधेयक कई मोर्चों पर साइबर अपराध को कम करने में कारगर होगा .उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर (केवाईसी) से धोखाधड़ी को कम करने में काफी मदद मिलेगी.
उन्होंने आगे कहा की यह बहुत ज़रूरी है कि कॉल रिसीवर ये जानता हो कि कौन कॉल कर रहा है क्योंकि वॉयस कॉल और डेटा कॉल के बीच का अंतर गायब हो गया है. यही वजह है कि ओटीटी समेत सभी प्लेटफॉर्म को एक ही कानून के तहत लाया गया है.