केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक निर्णय में फैसला सुनाया है कि यदि व्हाट्सएप ग्रुप का कोई सदस्य ग्रुप में आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करता है तो ग्रुप के एडमिन को वैकल्पिक रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता. जस्टिस कौसर ने कहा कि आपराधिक कानून में रिवर्स लाइबिलिटी केवल तभी तय कि जा सकती है जब कोई क़ानून ऐसा निर्धारित करे.
दरअसल मामला एक व्हाट्सएप ग्रुप में चाइल्ड पोर्नोग्राफी मटेरियल भेजने का था. फ्रेंड्स नाम के एक ग्रुप में पोर्नोग्राफी मटेरियल भेजा गया था. जिससे बाद अभियुक्त के अलावा ग्रुप के क्रिएटर को भी दूसरा अभियुक्त मान कर केस दर्ज किया गया था.
न्यायालय ने कहा कि सिविल और सेवा मामलों में प्रतिनियुक्त दायित्व आमतौर पर दो लोगों के बीच किसी न किसी कानूनी संबंध के कारण उत्पन्न होता है. कुछ उदाहरणों पर भरोसा करते हुए, यह पाया गया कि रिवर्स क्रिमिनल लाइबिलिटी केवल एक क़ानून के प्रावधान के कारण ही तय किया जा सकती है. क्योंकि कोई विशेष पीनल लॉ क्रिमिनल लाइबिलिटी नहीं बनाता है, इसलिए यह माना गया कि समूह के सदस्य द्वारा आपत्तिजनक पोस्ट के लिए व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता.