Sikh Religion: सिख धर्म का मूल उद्देश्य सेवा और सीख है. ये धर्म लोगों की सेवा करना सिखाता है, समाज से जुड़ना सिखाता है, सम्मान देना सिखाता है, जमीन से जुड़े रहना सिखाता है. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) से लेकर गुरु गोबिंद सिंह (Guru Govind Singh) तक, हर किसी ने मानवता और एकेश्वरवाद (Monotheism) का पाठ पढ़ाया है. गुरु गोबिंद सिंह ने तो सिखों को ‘पांच ककार’ भी दिए हैं जिनके बिना सच्चा सिख बनना संभव नहीं. आइए बताएं उन 5 ककार के जुड़ी धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक पहलू.
1. कंघा - सुबह और शाम लकड़ी के कंघे से बाल झाड़ने से सिर की त्वचा हरदम साफ रहती है और रक्त का प्रवाह भी सही रहता है.
2. कड़ा - लोहे के कड़े को सुरक्षा का प्रतीक माना गया है जो सिखों को कठिनाईयों से लड़ने की हिम्मत देता है.
3. कच्छहरा - सूती के अंत: वस्त्र जो तन को भी ढकते हैं और आरामदायक भी होते हैं.
4. केश - शरीर पर मौजूद बाल पुरखों का सम्मान है जिसे कभी भी खुद से अलग करने की मनाही है.
5. किरपान - किरपान या कटार अपनी और अपनों की रक्षा के लिए हमेशा रखना अनिवार्य.