68 साल बाद एयर इंडिया की पायलट सीट पर एक बार फिर से टाटा सन्स बैठेगा. इसके लिए सरकार की ओर से बोली लगाई गई थी और सबसे ज्यादा बोली टाटा सन्स ने लगाई. टाटा सन्स ने 18 हजार करोड़ में एयरलाइन को खरीद लिया. रतन टाटा ने इस मौके पर खुशी जताई है, उन्होंने एक ट्वीट में कहा - वेलकम बैक एयर इंडिया. डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सचिव ने बताया कि एयरलाइंस की नीलामी में दो कंपनियों ने बोली लगाई थी. इसमें टाटा सन्स की बोली सबसे ज्यादा 18 हजार करोड़ की रही. मंत्रियों के पैनल ने इस बिड को क्लीयरेंस दे दी और इस तरह एयर इंडिया अब टाटा संस का हिस्सा बन गया. दरअसल इस फैसले पर विचार करने के लिए एक स्पेशल पैनल बनाया गया था, इसमें गृहमंत्री, वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री और सिविल एविएशन मिनिस्टर शामिल रहे.
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इस पैनल में सभी पहलुओं पर विचार किया गया. सरकार एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस (Air India Express) में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है.साथ ही एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी AISATS में 50 फीसदी हिस्सेदारी भी बेची जा रही है. इसके लिए टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के अजय सिंह ने व्यक्तिगत बोली लगाई थी. मौजूदा प्रस्ताव के मुताबिक एयर इंडिया को 23,000 करोड़ रुपये के कर्ज के साथ नए मालिक को ट्रांसफर किया जाएगा. कंपनी का बाकी कर्ज Air India Asset Holdings Ltd (AIAHL) को ट्रांसफर किया जाएगा. बता दें कि जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की थी. दूसरे विश्वयुद्ध के वक्त विमान सेवाएं रोक दी गई थीं. जब फिर से विमान सेवाएं रिस्टोर हुईं तो 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया. आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी हिस्सेदारी सरकार ने ले ली थी.1953 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया.