छठ महापर्व हिन्दू आस्था का ऐसा पर्व है जिसमें मूर्ति पूजा नहीं होती बल्कि इसमें डूबते और उगते सूर्य की उपासना की जाती है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय-खाय से होती है, नहाय-खाय के बाद पंचमी को खरना होता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम में गुड़ वाली खीर का प्रसाद बांटकर खाती हैं, इसके बाद अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य यानि डूबते सूरज और उसके अगले दिन उदीयमान सूर्य यानि उगते सूरज को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन होता है.
इस साल अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का वक्त 10 नवंबर को शाम 5.30 बजे और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने का समय 11 नवंबर सुबह के 6:40 बजे है. धार्मिक दृष्टिकोण से ये व्रत संतान प्राप्ति और सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है. वहीं आध्यात्म के लिहाज़ से मन को तामसिक प्रवृत्ति से बचाने के लिए इस पर्व को मनाने की परंपरा है.
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